द कश्मीर फाइल्स पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। असम के धूबरी से सांसद बदरुद्दीम अजमल कहते हैं कि इस फिल्म से सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि असम की नेल्ली घटना का जिक्र क्यों नहीं होता। इन सबके बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने फिल्म देखी और कहा कि इसे तो देश के गांव गांव में दिखाना चाहिए। सच यह है कि अगर यह फिल्म नहीं आई होती तो हम कड़वे सच से अनजान रहते।
फिल्म देखने के बाद गिरिराज सिंह का बयान
1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "अगर यह फिल्म नहीं होती, तो लोगों को सच्चाई नहीं आती। "केंद्रीय मंत्री ने फिल्म और इसके निर्माण की सराहना करते हुए कहा कि इसे देश के हर गांव में दिखाने की जरूरत है।
कांग्रेस ने बीजेपी से पूछे सवाल
कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' पर राजनीतिक विवाद जोरों पर है। फिल्म को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। फिल्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बाद इस विवाद ने और तूल पकड़ लिया है। इस फिल्म पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम ने मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा कि 'सच को दबाने का प्रयास किया गया और जिसे यह फिल्म पसंद न आ रही हो, वह दूसरी फिल्म बना सकता है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या वजह रही कि आपातकाल पर कोई फिल्म नहीं बनी।
द कश्मीर फाइल्स पर असम सरकार लगाए बैन, बदरुद्दीन अजमल बोले, सांप्रदायिक तनाव का खतरा
पीएम के इस बयान के बाद कांग्रेस ने भी भगवा पार्टी पर अपने हमले तेज कर दिए। यूपी कांग्रेस ने अपने एक ट्वीट में कहा कि 'कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के वक्त दिल्ली की गद्दी पर मौन साधे कौन बैठा था? नरसंहार न रोकने वाला राज्यपाल किसका प्यादा था? वे पहले समस्या पैदा करते हैं, फिर समस्या हल करने की जगह उसे बनाये रखकर लाभ लेने की घृणित कोशिश करते हैं।' जाहिर तौर पर कांग्रेस ने इस ट्वीट के जरिए तत्कालीन पीएम वीपी सिंह और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल जगमोहन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
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