स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशक्ति का जज्बा अभूतपूर्व था, उसे हमें मौजूदा पीढ़ी में भरना है, बोले पीएम मोदी

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भाषा
Updated Aug 06, 2022 | 23:49 IST

आजादी का अमृत महोत्सव’ पर गठित समिति की तीसरी बैठक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जो देशक्ति का जज्बा दिखा था, वह अभूतपूर्व है। उसी जज्बे को हमें अपनी मौजूदा पीढ़ी में भरना है।

The passion of the country during the freedom struggle was unprecedented, we have to instill it in the present generation, said PM Modi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  |  तस्वीर साभार: Twitter

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति का जो जज्बा था, उसे मौजूदा पीढ़ी में भरने और इसका इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण में करने की जरूरत है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पर गठित समिति की तीसरी बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भावना के साथ जुड़े कार्यक्रम इस अभियान का केंद्र है जो देश में देशभक्ति का माहौल बना रहे है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जो देशक्ति का जज्बा दिखा था, वह अभूतपूर्व है। उसी जज्बे को हमें अपनी मौजूदा पीढ़ी में भरना है और इसी भावना का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण के लिए करना है।

प्रधानमंत्री को उद्धृत करते हुए यहां जारी बयान के मुताबिक, हमारे युवाओं को राष्ट्र निर्माण के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने का यह स्वर्णिम अवसर है। मोदी ने कहा कि भारत को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के लिए पोषित किया जाना चाहिए क्योंकि एकजुट राष्ट्र ही प्रगतिशील राष्ट्र होता है। इस संदर्भ में उन्होंने रेखांकित किया कि तिरंगा एकता का प्रतीक है, जो देश के लिए सकारात्मकता और समृद्धि लेकर आता है। मोदी ने कहा कि यह युवाओं के लिए ‘संस्कार उत्सव’ है जो उनमें देश के लिए योगदान का जज्बा पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा पीढ़ी कल के नेता होंगे और इसलिए हमें उन्हें अभी से ही कर्तव्य और जिम्मेदारी का बोध कराना चाहिए ताकि वे ‘इंडिया@100’ (भारत की आजादी के 100 साल) के सपने और दृष्टिकोण को महसूस कर सकें।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि तकनीकी क्रांति ने बदलाव की गति को बहुत तेज किया है और जिसे हासिल करने के लिए पीढ़ियां लग जाती थी, उसे अब दशकों में हासिल करना संभव है। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र के सपनों को मूर्त रूप देने के लिए पुरानी तकनीकों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मोदी ने कहा कि इसलिए अहम है कि युवाओं की क्षमता का विकास किया जाए और आवश्यक कुशलता से उन्हें सशक्त किया जाए ताकि वे आने वाले समय में तकनीकी चुनौतियों का सामना कर सकें।

स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय आदिवासी संग्रहालय बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सीमावर्ती ग्राम कार्यक्रम युवाओं द्वारा चलाये जाने चाहिए ताकि वे वहां रह रहे लोगों की जिंदगी को जान सके। मोदी ने कहा कि इसी प्रकार प्रत्येक जिले में 75 तालाब और ऐसे अन्य कार्यक्रम जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को ऐसी योजनाओं से अवगत कराना चाहिए ताकि वे देश के जमीनी हालात को समझ सके। समिति को संबोधित करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में अब तक 60,000 से अधिक कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए गए हैं और यह अभियान राष्ट्रीय से लेकर राज्य, जिला और जमीनी स्तर तक फैल गया है।

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि वह स्वतंत्रता संग्राम में अपने राज्य के योगदान को उजागर करना चाहती थीं। बयान के मुताबिक राष्ट्रीय समिति की बैठक में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, अन्य दलों के नेता, अधिकारी, मीडिया की हस्तियां, आध्यात्मिक नेता, कलाकार, फिल्मी हस्तियां और अन्य क्षेत्र के प्रमुख लोग शामिल हुए। मोदी ने कहा कि भारत अपने संकल्पों को साकार करते हुए अमृत काल के युग से गुजर रहा है और यह देश को अगले 25 वर्षों में सफलता के शिखर पर ले जाएगा।

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