सीतामढ़ी में स्थापित की जाएगी भगवती सीता की सबसे बड़ी प्रतिमा, खास बातचीत में खास जानकारी

देश
ललित राय
Updated Feb 13, 2022 | 19:42 IST

काउंसिल के संस्थापक एवं महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि यह प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी। प्रतिमा के चारों ओर वृताकार रूप में भगवती सीताजी की 108 प्रतिमाएं होंगी जो उनके जीवन-दर्शन को बिना किसी शब्द के ही वर्णित कर देगा। इन प्रतिमाओं के दर्शन के लिए इस स्थल को नौका-विहार तरीके से विकसित किया जाएगा।

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सीतामढ़ी में स्थापित की जाएगी भगवती सीता की सबसे बड़ी प्रतिमा, खास बातचीत में खास जानकारी 
मुख्य बातें
  • सीतामढ़ी में स्थापित होने वाली भगवती सीता की प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी।
  • भगवती सीताजी के जीवन-दर्शन पर आधारित एक डिजिटल-म्यूजियम , शोध संस्थान तथा अध्ययन केंद्र का भी निर्माण होगा
  • पवित्र परिसर में तुलसीदास, वाल्मिकी और केवट की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।

रामायण रिसर्च काउंसिल सीतामढ़ी में माता सीताजी की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा को स्थापित करेगी। काउंसिल ने इसके कार्यान्वयन हेतु एक समिति ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति’ का भी गठन किया है जिसकी अध्यक्षता स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू करेंगे। सांसद श्री पिंटू ने बताया कि इसके लिए हमें 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, जल्द ही हम बातचीत कर स्थान को चिन्हित कर लेंगे।इस विषय पर टाइम्स नाउ नवभारत ने काउंसिल के संस्थापक एवं महासचिव कुमार सुशांत से खास बातचीत की।

सवालः सबसे पहले ये बताएं कि सीतामढ़ी में ये प्रतिमा कितनी बड़ी होगी और क्या-क्या होगा वहां ?
जवाबः  यह प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी। प्रतिमा के चारों ओर वृताकार रूप में भगवती सीताजी की 108 प्रतिमाएं होंगी जो उनके जीवन-दर्शन को बिना किसी शब्द के ही वर्णित कर देगा। इन प्रतिमाओं के दर्शन के लिए इस स्थल को नौका-विहार तरीके से विकसित किया जाएगा। भगवती सीताजी के जीवन-दर्शन पर आधारित एक डिजिटल-म्यूजियम का निर्माण, शोध संस्थान तथा अध्ययन केंद्र भी किया जाएगा। इस पवित्र परिसर में सभी देवी-देवता अपने अद्भुत रूप में स्थापित होंगे, वहीं श्रीतुलसीदासजी, श्रीवाल्मिकीजी, श्रीकेवटजी समेत रामायण के प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। कई शक्तिपूर्ण स्थानों जैसे- नलखेड़ा (मप्र) में मां बगलामुखी माताजी की ज्योत लाकर इस स्थल को एक पर्यटक एवं शक्ति-स्थल के रूप में विकसित करना भी उद्देश्य है। इंटरप्रेटेशन सेंटर, लाइब्रेरी, पार्किंग, फूड प्लाजा, लैंडस्केपिंग के साथ-साथ पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं पर चिंतन जैसे विषयों पर भी खास ध्यान होगा।

सवालः काउंसिल इतना बड़ा कार्य करने जा रही है, इसके कार्यान्वयन की क्या रूपरेखा है ? 
जवाबः
काउंसिल ने इसके कार्यान्वयन हेतु एक समिति ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति’ का भी गठन किया है जिसकी अध्यक्षता स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू करेंगे। इस समिति में कुल 21 सदस्य होंगे, बाद में चलकर इसका विस्तार 108 सदस्यों तक किया जा सकेगा। समिति में देश के हर प्रदेश से एक सदस्य को शामिल किया जाएगा तथा विश्व के ऐसे देश जहां अधिकांश सनातनी हैं, उन देशों से भी एक-एक सदस्य को नामित किया जाएगा। इस कार्य को थोड़ा गति प्रदान कर इस समिति के सदस्य सांसद जी के नेतृत्व में बिहार सरकार को और फिर केंद्र सरकार को भी अवगत कराएंगे।

सवालः कितने भूखंड पर इसकी स्थापना की जा रही है और उस पर कुल लागत क्या होगी ? 
जवाबः इस कार्य के लिए समिति ने तय किया है कि हमें 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता है और हम उस भूमि को चिन्हित करने पर कार्य कर रहे हैं। इस पूरे कार्य पर 400 करोड़ की लागत का अनुमान है। हम इसके लिए भूमि को चिन्हित करने का बाद पहले बिहार सरकार को और फिर केंद्र सरकार को पूरे विषय से अवगत कराएंगे। सरकारों पर इसका अतिरिक्त बोझ न आए, इसके लिए हम जनसहयोग का सहारा लेंगे। 

सवालः जनमानस को इसकी जानकारी मिलती रहे, इसके लिए क्या सोचा है आपने ?
जवाबः इसके लिए मां सीता डॉट कॉम वेबसाइट की शुरुआत की गई है जिस पर इस पुनीत कार्य से संबंधित हर जानकारी को समय-समय पर वेबसाइट पर अपडेट्स किया जाएगा, ताकि पूरे देश या देश के बाहर के लोग भी इस विषय से अवगत होते रहें।

सवालः जो संस्था ये कार्य कर रही है, उसके विषय में बताएं और क्या-क्या और कार्य हो रहा है, इसे भी बताएं ?
जवाबः यह काउंसिल ट्रस्ट के रूप में एक पंजीकृत संस्था है जो भगवान श्रीराम के मानव कल्याण संदेशों को जन-जन तक प्रसार तथा देश के सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन का कार्य करती है। यह काउंसिल प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष पर पुस्तक-लेखन का कार्य भी कर रही है जो 1108 पृष्ठों की है तथा हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में भी अनुवाद हो रहा है। साथ ही, रामायण मंच नाम से प्रकल्प चल रहा है जिस पर हम छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों को याद करवाते हैं, बुलवाते हैं, उसे रिकॉर्ड कर अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से जागृति फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

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