विज्ञान भवन में मौका खास था। खास इसलिए कि न्यायपालिका और विधायिका दोनों एक साथ थी। देश के भर के जजों और मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने जो बात कही वो पते की थी। उन्होंने कहा कि न्यायपालिक जहां संविधान की संरक्षक है वहीं विधायिका लोगों की आकांक्षा है। हमें बेहतर भारत के निर्माण में इनके बीच सामांजस्य बनाना ही होगा। इन दोनों के बीच बेहतर तालमेल से ही भी समृद्ध भारत के निर्माण के लिए रोडमैप बना सकते हैं। हमें यह भी देखना होगा कि किस तरह से हम अपनी न्यायपालिका को और अधिक प्रभावी बना सकें।
न्यायिक सिस्टम को और बेहतर बनाने की जरूरत
2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 साल मना रहा होगा तो किस तरह की न्यायिक व्यवस्था हम पेश करेंगे उसे देखने की जरूरत है। हम किस तरह से अपनी न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत बनाएं जो लोगों के सपनों को पूरा करने में मददगार साबित हो सके और यही सब आज के दिन में हम सबके लिए प्राथमिकता में होनी चाहिए।
सरकार की तरफ न्यायिक व्यवस्था और आधारभूत ढांचे में सुधार की कोशिश के लिए काम किये जा रहे हैं। अदालतों में न्यायधीशों के पदों को भरने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत न्यायिक प्रणाली में आमूलचूल बदलाव की कोशिश की जा रही है। ई कोर्ट प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है।
न्यायिक सुधार पर सम्मेलन में बोले PM मोदी- जनता से जुड़ा और जनता की भाषा में होना चाहिए न्याय
दूसरी बार राज्यों के सीएम से मिले पीएम
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू के साथ मेघालय के सीएम कोनराड संगमा और पंजाब के सीएम भगवंत मान उपस्थित थे। प्रतिस्पर्धा।न्याय के कुशल वितरण के लिए ठोस समाधान खोजने पर सरकार और न्यायपालिका के बीच एक ईमानदार और रचनात्मक बातचीत का यह एक अनूठा अवसर है। रिजिउ ने घटना के महत्व का वर्णन करते हुए कहा।एक हफ्ते में यह दूसरी बार था जब पीएम मोदी मुख्यमंत्रियों को संबोधित कर रहे थे।
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