'राहुल गांधी और उल्फा के बीच कोई अंतर नहीं है', भारत को राज्यों का संघ कहने पर भड़के CM हिमंता बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राहुल गांधी और विद्रोही ग्रुप उल्फा के बीच कोई अंतर नहीं है क्योंकि वह भारत को राज्यों का संघ बताकर 'अलगाववादी तत्वों को प्रोत्साहित' कर रहे हैं।

There is no difference between Rahul Gandhi and ULFA, CM Himanta Biswa Sarma furious for calling India is a union of states
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का राहुल गांधी पर निशाना  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राहुल गांधी और विद्रोही ग्रुप उल्फा के बीच कोई अंतर नहीं है क्योंकि वह भारत को राज्यों का संघ बताकर 'अलगाववादी तत्वों को प्रोत्साहित' कर रहे हैं।असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत को राज्यों का संघ बताकर 'अलगाववादी तत्वों को प्रोत्साहित' कर रहे हैं, और उनके और विद्रोही समूह उल्फा के बीच कोई अंतर नहीं है। सरमा आरएसएस से जुड़े वीकलीज पांचजन्य एंड ऑर्गनाइजर के मीडिया कॉन्क्लेव में बोलते हुए यह बात कही। आयोजक संपादक प्रफुल्ल केतकर के राहुल गांधी द्वारा भारत को राज्यों का संघ बताने के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में सरमा ने कहा कि भारत सांस्कृतिक रूप से एक है।

उन्होंने कहा कि भारत को केवल राज्यों के संघ के रूप में पहचानना हमारी 5000 साल पुरानी समृद्ध सभ्यता को चुनौती देने के समान है। अगर भारत राज्यों का संघ है, तो इसका मतलब है कि आप भारत के पास मौजूद हर चीज पर विवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब राहुल गांधी लोगों को यह समझा रहे हैं कि भारत राज्यों का एक संघ है। वह अलगाववादी तत्वों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हो सकता है कि जेएनयू से कोई उन्हें पढ़ा रहा हो। अंग्रेजी के अलावा उनकी और उल्फा की भाषा में कोई अंतर नहीं है।

2015 में कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले सरमा ने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी गांधी परिवार से परे कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा कुछ नहीं है। बीजेपी में हम देश को पहले रखते हैं। लेकिन अगर आप जाकर गांधी परिवार से कहते हैं कि भारत आपसे बड़ा है, तो आप कांग्रेस में अपनी नौकरी खो देंगे।

सरमा ने अपनी मातृभाषा के अलावा हिंदी सीखने की वकालत की क्योंकि इससे देश के कई राज्यों में रोजगार पाने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा को जानना और सीखना चाहिए। लेकिन साथ ही साथ हिंदी भी सीखनी चाहिए ताकि दूसरे राज्यों में काम करने में कोई कठिनाई न हो।
 

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