नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 21 हजार के पार है और 600 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इन सबके बीच आज स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राहत भरी खबरें आईं। मसलन रिकवरी रेट 19 फीसद है। देश के 14 जिलों में पिछले 28 दिन से कोई केस नहीं, देश के 78 जिलों में पिछले 14 दिनों से कोई केस नहीं। इन सबके बीच कोरोना संक्रमितों की रफ्तार एक्स्पोनेंशियन नहीं है। लेकिन एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कुछ बड़ी बातें कहीं।
कोरोना को छिपाना भी बड़ी वजह
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि कोविड-19 मरीज ठीक हो रहे हैं और यह खुशी देने वाली बात भी है। लेकिन इसके साथ दिक्कत और दुख यह है कि जो लोग अस्पतालों से स्वस्थ होकर जा रहे हैं कि उनके प्रति समाज का रवैया कुछ बदला हुआ सा दिख रहा है। लोगों का रवैया शंका से भरा हुआ है, इस वजह से बीमारी बढ़ रही है और इसके साथ मरीजों की मृत्यु दर में भी इजाफा हो रहा है।
सामाजिक बिलगाव का डर
वो कहते हैं कि अगर किसी को कोरोना संक्रमण हो गया है तो अगल बगल के लोगों के साथ पूरा समाज इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि वो मरीज स्वस्थ होने के बाद भी कोरोना का शिकार नहीं होगा। इसका परिणाम भी सामने आ रहा है, जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो अपनी बीमारी को छिपा रहे हैं। वो मेडिकल स्टॉफ के सामने आने से बच रहे हैं, कोरोना के मरीजों को लग रहा है कि इसकी वजह से लोग उनके पास नहीं बैठेंगे, अगर कहें कि सामाजिक और भावनात्मक तौर पर बहिष्कार कर देंगे। इसकी वजह से कोरोना के मामले और बढ़ रहे हैं।
लॉकडाउन का सकारात्मक असर
अगर देश 24 मार्च के बाद की तस्वीर को देखें तो यह बात सच है कि कोरोना के मामले थमे नहीं हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन वैश्विक स्तर पर अगर तुलना करें तो भारत के हालात अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन जैसे देशों से अच्छे हैं। भारत में कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा असर कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, यूपी तक सीमित है। देश के करीब 325 जिले संक्रमण से मुक्त हैं।
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