बाड़मेर में ऊंट पर सवार होकर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं ये शिक्षक, संसाधनों के लिए रोने वालों को संदेश

देश
ललित राय
Updated Jul 09, 2021 | 20:50 IST

कोरोना काल में छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। हालांकि मोबाइल की कमी एक बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए राजस्थान सरकार ने शिक्षकों को हफ्ते में एक और दिन छात्रों के घर जाने के निर्देश दिए हैं।

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बाड़मेर में ऊंट पर सवार होकर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं ये शिक्षक 
मुख्य बातें
  • बाड़मेर में शिक्षक हफ्ते में एक और 2 दिन छात्रों के घर पढ़ाने जाते हैं
  • ऐसे छात्रों के घर जाते हैं जिनके पास मोबाइल फोन नहीं
  • छात्रों के घर जाने के लिए ऊंट का करते हैं इस्तेमाल

कोरोना काल में जहां लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है, तो शैक्षणिक व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। कोरोना के खतरे को देखते हुए छात्रों को स्कूल नहीं बुलाया जा रहा है  और ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई कराई जा रही है। लेकिन तमाम ऐसे छात्र हैं जिनके पास मोबाइल फोन भी नहीं है। इन सबके बीच राजस्थान के बाड़मेर में शिक्षकों ने मिसाल पेश की है कि चुनौतियों से कैसे निपटना चाहिए।

ऊंट पर सवार शिक्षक जाते हैं पढ़ाने
बाड़मेर में शिक्षक ऊंटों पर सवार होकर उन छात्रों के घर जाते हैं जिनके पास या तो मोबाइल या नेटवर्क की दिक्कत है। इस संबंध में गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल भीमथल के प्रिंसिपल रूप सिंह झाकड़ कहते हैं ऐसे शिक्षक प्रशंसा के पात्र हैं। इस तरह के प्रयासों को जारी रखना चाहिए। वो कहते हैं कि बाड़मेर में छात्रों के पास संसाधन की कमी है। लेकिन राज्य सरकार के निर्देश के बाद हम लोगों के साथ अधिकतम प्रयास किए जा रहे हैं। शुरू में थोड़ी दिक्कत आई लेकिन अब धीरे धीरे शिक्षक भी अभयस्त हो चुके हैं। 

75 लाख से अधिक छात्रों में से ज्यादातर के पास मोबाइल नहीं
राजस्थान शिक्षा विभाग के निदेश सौरव स्वामी का कहना है कि करीब 75 लाख छात्रों में ज्यादातर के पास मोबाइल नहीं है। इसे देखते हुए सरकार ने फैसला किया था कि हफ्ते में एक दिन कक्षा 1 से आठ तक के छात्रों के घर शिक्षक जाएंगे इसके साथ ही 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों के घर दो बार जाएंगे। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर हम सब कठिन दौर से गुजर रहे हैं। इस तरह के हालात में हम शिक्षा के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं लिहाजा इस तरह से प्रयास किए जा रहे हैं कि शिक्षकों को भी कम से कम मुश्किलों का सामना करना पड़े।

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