आज यह एक सच्चाई है कि वन्य जीवन संरक्षण के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के लिए जितना कुछ जमीनी स्तर पर होना चाहिए वो नहीं हो रहा है। वाइल्ड लाइफ के प्रति जागरुकता क्या सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है या आम लोग हों या खास अपने अपने स्तर पर हर किसी का फर्ज है। लोग अलग अलग तरह से तर्क देकर खुद को बचने या बचाने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन यहां पर हम एक ऐसे शख्स संजय कुमार की बात करेंगे जो यूपी सरकार के वित्त विभाग में सचिव पर तैनात हैं। अब अगर किसी शख्स पर वित्त विभाग की इतनी बड़ी जिम्मेदारी हो तो भला उसका वन्यजीवों से क्या लगाव होगा। लेकिन आप यहीं पर गलत साबित हो जाएंगे।
आईएएस संजय कुमार वन्य जीवों के साथ साथ प्रकृति के अलग अलग रूपों में कैद किया है। कैमरों में कैद वो तस्वीरें सिर्फ तस्वीर नहीं हैं बल्कि संदेश देती हैं कि हमें अपने प्रकृति से अलग होकर नहीं रहना है बल्कि सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना है। वन्यजीवों के प्रति लगाव के साथ फोटोग्राफी में रुचि और यह क्यों जरूरी है उन सभी मुद्दों पर उन्होंने Times Now Hindi से खास बातचीत की
सवाल - संजय जी आपका टाइम्स नाउ हिंदी से बातचीत के लिए स्वागत है, आपको वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का शौक कब लगा।
जवाब- मैंने अपने स्कूल के दिनों से प्रकृति से प्यार करना और उसके करीब जाना शुरू कर दिया था जब मैं नेचर एन एडवेंचर क्लब का सदस्य था। हम स्कूल परिसर के पीछे विशाल जंगल पैच (अब असोला भट्टी अभयारण्य) में टहलने और साइकिल चलाने के लिए जाते थे।
सवाल- आप को वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी करते हुए एक दशक से ज्यादा हो गए। क्या आपको कोई खास लम्हा याद है जो रोमांच भर देता हो।
जवाब- कई बेहतरीन यादें ... कॉर्बेट में हमारी जिप्सी का पीछा करती मदर हाथी क्योंकि उसका बच्चा सड़क के एक तरफ पीछे रह गया था, एक हाथी (टस्कर) हमारे वाहन के बहुत करीब आ रहा था और यहां तक कि जिप्सी की एक तरफ टक्कर भी मार दी। इसी बीच मेरी गाड़ी से महज 20 फीट दूर मादा टाइगर ने एक चीतल को शिकार बनाया और अपने साथ ले गई।
सवाल- वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के दौरान अब तक जो आपने सबसे मुश्किल पल पाया हो।
जवाब-एक घड़ियाल नर के थूथन पर हैचिंग करते हुए फोटो खिंचवाने के लिए, मुझे 2 घंटे मौन पर इंतजार करना पड़ा।
साथ ही 45 डिग्री से अधिक तापमान और करीब 100 फीसद आद्रता के बीच किस तरह एक बाघ ने अपने शिकार को कब्जे में किया। उस पूरे घटनाक्रम को फ्रेम बाई फ्रेम कैप्चर किया।
सवाल- वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के लिए सरकारें तो अपनी तरफ से कोशिश कर रही हैं लेकिन आम लोग किस तरह से अपनी भागीदारी दे सकते हैं।
जवाब- वन्यजीव संरक्षण को जनभागीदारी का मॉडल बनाना होगा। हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए और इसे टिकाऊ बनाने के लिए उनकी आजीविका को सुरक्षित और मजबूत किया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति कम से कम अपने घर और आसपास के पारंपरिक पेड़ों की रक्षा कर सकता है, नीम, पीपल, पक्कड़, गूलर, जामुन, अर्जुन और अन्य फिकस प्रजातियों जैसे पारंपरिक पेड़ लगा सकता है, जल निकायों और आर्द्रभूमि की रक्षा कर सकता है, पक्षियों के अवैध शिकार की जांच कर सकता है।
वन विभाग को जानकारी साझा करके और ऐसे लोगों या समुदाय को हतोत्साहित करना, जलाऊ लकड़ी पर निर्भरता कम करना और जंगलों के आसपास के गांवों में हरित ईंधन में परिवर्तित करना, स्थानीय समुदाय को प्रकृतिवादियों, शोध कार्य, सफारी ड्राइवरों आदि के रूप में शामिल करना।
सवाल - आखिरी सवाल आपको कब लगा कि प्रशासनिक क्षमता के साथ साथ आप वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में शानदार तरीके से हाथ आजमां सकते हैं।
जवाब- मैं स्कूल और कॉलेज के दिनों से फोटोग्राफी कर रहा हूं। काम बहुत मांग वाला है लेकिन फोटोग्राफी मन को शांति देती है और एकरसता को तोड़ती है। साथ ही क्षेत्र के प्रत्येक कार्य में मैं यू.पी. में कई स्थानों की यात्रा कर सकता था। और प्राकृतिक उपहारों की सराहना करें चाहे परिदृश्य, झरने, वन्य जीवन, पक्षियों से भरे आर्द्रभूमि।फोटोग्राफी के माध्यम से मैं आम लोगों को शानदार वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवासों, जंगलों और आर्द्रभूमि के संरक्षण की आवश्यकता के बारे में प्रोत्साहित और प्रेरित करने में सक्षम हूं।
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