नई दिल्ली: टाइम्स नाउ समिट 2020 में 'क्या बहुसंख्यकवाद बढ़ रहा है?' के विषय पर चर्चा करने के लिए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने हिस्सा लिया। दोनों के बीच काफी तीखी बहस हुई। चर्चा की शुरुआत में ओवैसी ने कहा कि नेहरू (जवाहरलाल नेहरू) ने सही कहा कि बहुसंख्यकों की सांप्रदायिकता देश को नष्ट कर देगी जबकि अल्पसंख्यक की सांप्रदायिकता समुदाय को नष्ट कर देगी। ओवैसी ने कहा कि देश मेजॉरिटेरिएनिज्म की ओर बढ़ रहा है और मौजूदा केंद्र सरकार हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रही है।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'ये कानून क्यों लाया गया, ये उन लोगों के लिए लाया गया, जो असम में एनआरसी में छूट गए। असम में एनआरसी बीजेपी की योजना के अनुसार नहीं हुई। महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री कहते हैं कि क्या एक हिंदू आतंकवादी हो सकता है? एक पूर्व केंद्रीय मंत्री मॉब लिंचिंग के आरोपियों का स्वागत करता है। आप देखिए कि सुप्रीम कोर्ट इससे परेशान है कि दिल्ली में एक प्रदर्शन से रोड ब्लॉक है, लेकिन इससे नहीं कि पिछले 6 महीने से कश्मीर बंद है। आप देखिए कि कैसे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को एक उम्मीदवार के लिए बोलना पड़ा कि वो हिंदू राजपूत है। बहुसंख्यक वोटों को ध्यान में रखते हुए ये बोला गया। ये लिस्ट लंबी है, मेजॉरिटेरिएनिज्म साबित करने के कई सबूत हैं। इस सरकार द्वारा ऐसा किया जा रहा है। लेकिन मुझे फिर भी उम्मीद है और हम लड़ रहे हैं।'
ओवैसी का जवाब देते हुए बाबुल सुप्रियो ने कहा कि मैं चाहता हूं कि ओवैसी एक जन नेता हो, ना कि अल्पसंख्यकों के नेता। उन्होंने कहा कि हर पार्टी के लोग गलत टिप्पणी कर सकते हैं, लेकिन आप इसके लिए प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे सकते। ये डर फैलाने का काम करते हैं। मोदी जी जननेता है, आप जननेता नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी शिक्षित व्यक्ति है और जानते हैं कि वास्तव में सीएए क्या है। परेशानी यह है कि AIMIM प्रमुख ने खुद को एक अल्पसंख्यक नेता के रूप में सीमित कर लिया है।
इसका जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा कि CAA भेदभावपूर्ण है, ये समझने के लिए आपको शेरलॉक होम्स होने की जरूरत नहीं है। यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। मैं पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं के खिलाफ नहीं हूं। मैं सिर्फ यह कहता हूं कि आप कानून बनाकर मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
सुप्रियो ने कहा कि सरकार को अपना कर्तव्य निभाने दें। लोगों में डर पैदा करने की क्या जरूरत है, जबकि ओवैसी ने कहा कि एक भारतीय के रूप में मुझे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। मैं सरकार द्वारा उठाए गए असंवैधानिक कदमों का समर्थन नहीं कर सकता। असम की एनआरसी में जो हिंदू छूट गए हैं सरकार उन्हें सीएए की मदद से नागरिकता दे सकती है। लेकिन मुसलमानों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। बाबुल सुप्रियो ने ओवैसी पर आरोप लगाया कि वो कभी भी ममता बनर्जी के खिलाफ नहीं बोलते क्योंकि वह बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। CAA-NRC और NPR पर लोगों को भम्र फैलाना बंद करना चाहिए।
बाबुल ने कहा कि इन्हें बंगाल में जाकर ममता दीदी के खिलाफ बोलना चाहिए। वहां जाकर उन मुस्लिमों के लिए बोलिए जिनका दीदी फायदा उठा रही हैं। आपका हर भाषण गुस्से में है।
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