West Bengal: चुनाव से पहले TMC में बगावत की आहट, मंत्री शुभेंदु की रैली से ममता की तस्वीरें गायब

देश
किशोर जोशी
Updated Nov 13, 2020 | 11:41 IST

पश्चिम बंगाल में इन दिनों सियासी पारा चढ़ा हुआ है। मिशन बंगाल में जुटी बीजेपी आने वाले दिनों में टीएमसी को झटके दे सकती है। इस बीच टीएमसी में भी बगावत की चिंगारी दिखाई दे रही है।

TMC Leader And Mamata Banerjee Close Aide Suvendu Adhikari Likely to quit Party ahead of assembly election
बंगाल: चुनाव से पहले TMC में बगावत! ममता को लग सकता है झटका 
मुख्य बातें
  • पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी को लग सकता है बड़ा झटका
  • कैबिनेट मंत्री सुवेंधु अधिकारी ने दिखाए बगावती तेवर, कर सकते हैं टीएमसी से किनारा
  • सुभेंदु की नंद्रीग्राम में आयोजित रैली में पोस्टरों से गायब दिखी ममता बनर्जी

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद से सियासी हलचल तेज हो गई है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ ममता बनर्जी सरकार को आने वाले दिनों में बड़ा झटका लगने के संकेत मिल रहे हैं। राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि वो जल्द ही बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। शुभेंदु को ममता के भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है और ऐसे में अगर वो बीजेपी का दामन थामते हैं तो निश्चित तौर पर यह टीएमसी के लिए बड़ा झटका होगा।

रैली से ममता के पोस्टर गायब
राज्य सरकार में परिवहन, सिंचाई और जल संसाधन जैसे अहम विभाग के मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम दिवस के मौके पर टीएमसी से अलग रैली की थी और इस दौरान वहां लगे पोस्टरों और होर्डिंग्स से ममता बनर्जी की तस्वीरें गायब थीं। इस दौरान उन्होने भारत माता की जय के नारे भी लगाए थे। नंदीग्राम वो ही जगह है जहां से ममता ने अपनी सत्ता की जमीन तैयार की थी और महीनों तक यहां उन्होंने लंबा संघर्ष किया था। सुभेंदु के बगावती सुरों को देखते हुए ममता सरकार ने उनके तीन करीबी नेताओं की सुरक्षा हटा ली है।


 कौन हैं शुभेंदु
शुभेंदु अधिकारी वही नेता हैं जिन्होंने 2007 में टीएमसी के नंदीग्राम आदोलन के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई दी। कहा जाता है कि ममता के इस आंदोलन का पूरा खाका शुभेंदु अधिकारी ने ही खींचा था। इसी आंदोलन की बदौलत ममता ने लेफ्ट का दशकों पुराना शासन उखाड़ फेंका था। यह आंदोलन ऐसे समय में हुआ था जब लेफ्ट को बंगाल में अजेय माना जाता था लेकिन वो शुभेंदु अधिकारी ही थे जिन्होंने इस लेफ्ट राज को उखाड़ने में अहम भूमिका अदा की थी। दो बार लोकसभा सांसद रह चुके शुभेंदु का अपना एक अच्छा खासा जनाधार है।

क्या है नाराजगी की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शुभेंदु की नाराजगी की असली वजह टीएमसी में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का दबदबा है। अभिषेक के बढ़ते कद को शुभेंदु स्वीकार करने को तैयार नहीं है। माना जाता है कि बांकुरा, पुरुलिया और बीरभूम के करीब 40 विधानसभा सीटों पर शुभेंदु का ठीक-ठाक प्रभाव है। ऐसे में जब बीजेपी ने राज्य में 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, अगर शुभेंदु बीजेपी में आते हैं तो निश्चित तौर पर इसका फायदा पार्टी को मिलना तय है।

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