नई दिल्ली : चीन के साथ लगती अपनी सीमा पर आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत लगातार काम कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में सड़क सहित विकास की कई परियोजनाओं को पूरा कर गया है, फिर भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बुनियादी सुविधाओं के मामले में चीन भारत पर भारी पड़ता है। बुनियादी सुविधाओं के इस अंतर को पाटने के लिए भारत लगाताय प्रयास कर रहा है। हाल के वर्षों में भारत ने अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक नई सड़कों के तेजी के साथ निर्माण किया और आधारभूत संरचनाएं विकसित की हैं। यह काम आज भी हो रहा है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सीमा सड़क संगठन (BRO) की ओर से बनाए गए 12 सड़कों ऑनलाउन उद्घाटन किया।
सामरिक रूप से अहम हैं बीआरओ द्वारा बनाई गई सड़कें
अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक बीआरओ ने गत वर्षों में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कई सड़कों, सुरंगों एवं पुलों का निर्माण किया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के आस-पास के इलाके दुर्गम हैं और यहां मौसम भी अक्सर प्रतिकूल रहता है लेकिन इन चुनौतियों का सामना करते हुए बीआरओ ने इन इलाकों में सेना के लिए राह आसान की है। बीआरओ की तरफ से बनाई गई इन सड़कों का उपयोग करते हुए सेना कम समय में अपने जवानों, रक्षा उपकरणों एवं रसद सामग्री को अग्रिम मोर्चों तक पहुंचा देती है।
राजनाथ सिंह ने 12 सड़कों का उद्घाटन किया
रक्षा मंत्री ने गुरुवार को जिन 12 सड़कों का उद्घाटन किया उनमें 20 किलोमीटर लंबी किमिन-पोटिन डबल लेन, अरुणाचल प्रदेश में नौ और लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर में एक-एक सड़क शामिल है। सड़कों का उद्घाटन करने के मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत वैश्विक शांति का ‘पुजारी’है, लेकिन यह आक्रामक कार्रवाइयों का करारा जवाब देने में सक्षम है।सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं धैर्य में किसी भी तरह की गंभीर गड़बड़ी के घातक परिणाम होंगे।'
बीआरओ का बजट कई गुना बढ़ा
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘2013 के बाद बीआरओ के लिए बजट में कई गुना बढ़ोतरी हुई है और वर्तमान में यह 11 हजार करोड़ रुपये है। 2014 के बाद बीआरओ ने देश में रिकॉर्ड 4800 किलोमीटर सीमा सड़कों का विकास किया है।’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देश के रक्षा क्षेत्र में काफी बदलाव आए हैं जिनमें पहली बार प्रमुख रक्षा अध्यक्ष की नियुक्ति भी शामिल है। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘हमारा विजन अपने हथियारों का निर्माण करना और जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों को उनका निर्यात करना है।’
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