नई दिल्ली । कोरोना संकट के दौरान सेना एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रही है जिसके जरिए आम लोग भी सेना में शामिल हो सकते हैं। सरकार का मानना है कि फौज में सेवा की अवधि कम होने से स्किल्ड लोग अलग अलग क्षेत्रों में आएंगे। सेना के इस प्रस्ताव को आम जनों में बेहतर प्रतिक्रिया भी आई।लेकिन राजनीतिक तौर पर इस विषय पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
मोहम्मद सलीम ने साधा निशाना
सीपीएम के मोहम्मद सलीम कहते हैं आभासी तौर पर यह एक शानदार विचार है। लेकिन इसके पीछे का मकसद क्या है। पिछले 50 वर्षों में बेरोजगारी अपने शिखर पर है और कम अवधि के वादे किए जा रहे हैं। आखिर इससे किसका फायदा होगा। नौकरी नें आने वालों को सरकार लंबी अवधि की नौकरी देने से सिर्फ इसलिए बच रही है कि उसे ग्रैच्यूटी और पेंशन न देना पड़े। संकट की घड़ी में जब लोगों को उम्मीद होती है कि सरकार अधिक से अधिक जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेगी तो सरकार जिम्मेदारी से भाग रही है। एनसीसी और स्काउट्स पहले से ही हैं, बेहतर तो यह होता कि सरकार इनके लिए ज्यादा से ज्यादा धन की व्यवस्था करती।
तीन साल का है 'टूर ऑफ ड्यूटी' प्रोग्राम
इस प्रस्ताव को भारतीय सेना के उस प्रयास का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसके जरिये देश की बेहतरीन प्रतिभा को तलाशने और सशस्त्र बल के लिए काम करने का मौका देने की कोशिश की जा रही है। यह प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है, जबकि पिछले काफी समय से सेना अफसरों की कमी से जूझ रही है। जानकारों का कहना है कि देश की बेहतर टैलेंट को आकर्षित करने के लिए ही सेना इस तीन साल के 'टूर ऑफ ड्यूटी' प्रोग्राम को आम लोगों के लिए भी लॉन्च करने पर विचार कर रही है।
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