नई दिल्ली। 26 जनवरी को जिस तरह से उत्पातियों ने राजधानी में बवाल काटा उसकी साक्षी पूरी दुनिया है। आईटीओ और लालकिले के केस में दिल्ली पुलिस की तरफ से उन किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई है जिन लोगों ने एनओसी पर हस्ताक्षर किए थे। इन सबके बीच गाजीपुर बार्डर पर पुलिस की तैनाती को बढ़ा दिया गया है। बता दें कि दिल्ली पुलिस की तरफ से राकेश टिकैत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। यहां यह भी जानना जरूरी है कि एफआईआर लिखे जाने के बाद उन्होंने कहा दिल्ली में जो कुछ हुआ उसे रोकने के लिए पुलिस ने गोली क्यों नहीं चलाई। यह बात अलग है कि किसान नेता शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने उनके बयान से पल्ला झाड़ लिया है।
राकेश टिकैत का क्या कहना है
कोई वहां जाता है और झंडा फहराता है, कोई फायरिंग क्यों नहीं की गई? पुलिस कहां थी? वह वहां कैसे गया? पुलिस ने उसे छोड़ने की अनुमति दी और उसे गिरफ्तार नहीं किया। अभी भी कुछ नहीं किया गया है। वह व्यक्ति कौन था जिसने पूरे समुदाय को परेशान किया।
यूपी पुलिस का क्या कहना है
एडीजी (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार का कहना है कि 26 जनवरी की घटना के विरोध में, कुछ किसानों ने स्वेच्छा से चिल्ला बॉर्डर और दलित प्रेरणा स्टाल से अपना विरोध समाप्त कर दिया। जहां तक बागपत का संबंध है, स्थानीय अधिकारियों ने हमें बताया कि उन्होंने किसानों को चल रहे एनएचएआई परियोजना के बारे में समझाया और उन्होंने कल रात विरोध प्रदर्शन समाप्त किया।
कुछ लोग अभी भी यूपी गेट पर मौजूद हैं। वार्ता चल रही है, हमने उपद्रवी और राष्ट्र-विरोधी तत्वों की तलाश के लिए स्पॉटर्स तैनात किए हैं ताकि वे यूपी में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ न करें। हम किसान संगठनों से बात करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि विरोध को जल्द से जल्द बंद किया जाए। अगर दिल्ली पुलिस हिंसा के संबंध में हमारी मदद मांगती है (26 जनवरी को) तो हम उनकी मदद करेंगे। हम ऐसे किसी भी तत्व की अनुमति नहीं देंगे - जिसने हमारे राज्य में ऐसा किया हो। लोगों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे किसी उपद्रवी तत्व को आश्रय नहीं देंगे:
जब बवाली बन गया ट्रैक्टर परेड
दरअसल 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के लिए तीनों बार्डर के लिए निर्धारित रूट पहले से तय थे। लेकिन इस तरह के आरोप हैं कि किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस के सामने जो सहमति जताई थी उसे पूरा नहीं कर सके। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने भी इसे पुलिस के साथ विश्वासघात बताया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं था कि हम ऐक्शन नहीं ले सकते थे। लेकिन हमारी तरफ से कार्रवाई के बाद हालात कुछ और होते और दिल्ली पुलिस उस तरह की कार्रवाई नहीं चाहती थी।
बागपत में किसान आंदोलनकारियों को हटाया गया
26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर जिस तरह उत्पात को अंजाम दिया गया उसके बाद किसान संगठनों ने उससे पल्ला झाड़ लिया। यह बात अलग थी कि किसान नेताओं ने उसके लिए सरकार और उसकी एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया। 27 जनवरी की रात बागपत में दिल्ली सहारनपुर हाईवे से धरतारत किसानों को हटा दिया गया है। उस विषय में किसानों का आरोप है कि यूपी पुलिस ने बेरहमी से लाठियां भांज कर हटा दिया। लेकिन बागपत जिला प्रशासन ने इससे इंकार किया है। इसके साथ ही गाजीपुर बार्डर पर टिकैत समर्थकों का कहना है कि स्ट्रीट लाइट को जानबूझकर बुझा दिया गया था।
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