नई दिल्ली: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने त्रिपुरा के शीर्ष पुलिस अधिकारी से विवादास्पद आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा करने को कहा है। वकीलों और पत्रकारों सहित 102 लोगों पर हाल ही में त्रिपुरा में हिंसा के नकली दृश्यों को कथित रूप से शेयर करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया गया था, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि इससे राज्य में शांति भंग हुई और कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर दी।
त्रिपुरा डीजीपी वीएस यादव ने भी बताया कि सीएम ने निर्देश दिया है कि पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में दर्ज ऐसे मामलों पर UAPA प्रावधानों की समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं के बाद त्रिपुरा में कुछ घटनाएं हुईं। यहां स्थिति सामान्य थी लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी वीडियो और तस्वीरों की मदद से संदेश फैलाया जा रहा था कि त्रिपुरा में मस्जिदों में आग लगा दी गई और लोग मारे गए। यह झूठ था। इसलिए स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हमने एक मामला उठाया था जिसमें हमने आईपीसी के अलावा यूएपीए भी लगाया था। हमें यह भी पता चला था कि वायरल तस्वीरों और वीडियो के पीछे पाकिस्तान से जुड़े एक प्रतिबंधित संगठन का भी हाथ है। चूंकि यह एक प्रतिबंधित संगठन था, इसलिए यूएपीए लागू करना आवश्यक था।
उन्होंने आगे कहा कि हमने 102 सोशल मीडिया पोस्ट को शामिल किया था। इसका मतलब यह नहीं है कि वे सभी यूएपीए के तहत होंगे, यह केवल सबूत होने पर ही लगाया जाएगा। मैं व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रहा हूं। सहायक साक्ष्य होने पर ही इन पोस्ट्स पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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