मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों का सामाजिक संरचना पर असर डालते हैं। खाप पंचायतें अक्सर तुगलकी फरमान जारी करती हैं, यह बात अलग है कानून की नजर में वो अवैधानिक है। लेकिन परंपरा के नाम पर लोग खाप पंचायतों के फैसले से अलग भी नहीं जा पाते हैं। खाप पंचायतें अजीबोगरीब फैसला करती रही हैं। सैद्धांतिक तौर पर इसे अमान्य माना जाता है। लेकिन यह देखा गया है कि जमीन पर लोग सामाजिक अलगाव से बचने के लिए खाप के निर्देशों का पालन करते हैं।
पुरुषों को हाफ पैंट में बाजार जाने में मनाही
खाप पंचायत लीडर नरेश टिकैत ने एक नया आदेश जारी किया है जिसमें पुरुष बाजारों में पैंट पहन कर नहीं जा सकते हैं। जब इस विषय पर विवाद शुरू हुआ तो उनकी तरफ से सफाई भी आ गई। नरेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने कोई आदेश नहीं जारी किया था बल्कि एक सलाह थी। आप सिर्फ लड़कियों पर रोक लगाकर समाज की विकृतियों को दूर नहीं कर सकते हैं।
आदेश नहीं सिर्फ दी गई है सलाह
नरेश टिकैत से जब यह पूछा गया कि जब देश में संविधान का राज है, आईपीसी की धाराएं तो खाप पंचायतें इस तरह के तुगलकी फरमान क्यों जारी करती हैं। इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं कि दरअसल सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी के क्रम में सामाजिक नियंत्रण जरूरी होता है। बड़े बुजुर्ग इस संबंध में फैसला करते हैं। लेकिन उसे सलाह के तौर पर ही लेना चाहिए। खाप पंचायतें कभी कानून की उल्लंघन नहीं करती हैं।
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