मुंबई : महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी गई 'सामान्य सहमति' को वापस ले ली है। यह सहमति राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न मामलों की जांच के लिए दी जाती है। उद्धव सरकार के इस फैसले के बाद अब केंद्रीय जांच एजेंसी को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेने के लिए संपर्क करना होगा।
महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर सीबीआई द्वारा टीआरपी घोटाले में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के एक दिन बाद बुधवार को आया है। टीआरपी घोटाले को लेकर एक विज्ञापन कंपनी के प्रमोटर की शिकायत पर लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था, जिसके बाद यूपी सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था और सीबीआई ने इस मामले में मंगलवार को प्राथमिकी भी दर्ज की।
टीआरपी स्कैम का खुलासा पिछले दिनों मुंबई पुलिस ने किया था और इसमें तीन चैनलों के शामिल होने की बात कही थ। आरोप लगाया गया कि इन चैनलों ने टीआरपी रेंटिंग्स में धांधली की और पैसे देकर टीआरपी खरीदे। टीआरपी रेटिंग न सिर्फ चैनलों की लोकप्रियता के बारे में बताता है, बल्कि इसी आधार पर चैनल खुद के सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करते हैं और इसी आधार पर उसे विज्ञापन भी मिलते हैं।
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