एकनाथ शिंदे कभी उद्धव ठाकरे के खास लोगों में से हुआ करते थे। लेकिन सियासी लड़ाई में अब एक दूसरे खिलाफ हैं। हाल ही में जब 1.54 लाख करोड़ का फॉक्सकॉन-वेदांता सौदा गुजरात की झोली में चला गया उसके बाद से आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हुई जो शब्दों और मर्यादा के लिहाज से निचले स्तर पर माना जा सकता है। इस सौदे के बारे में सीएम एकनाथ शिंदे का कहना है कि उन्हें केंद्र से आश्वासन मिला है कि महाराष्ट्र निराश नहीं होगा। यही वो बयान है जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि एक बार फिर एकनाथ शिंदे मुजरा करने के लिए दिल्ली पहुंच गए।
आखिर दूसरे राज्यों में क्यों जा रही हाैं परियोजनाएं
उद्धव ठाकरे ने पूछा कि आखिर महाराष्ट्र की परियोजनाएं दूसरे राज्यों में क्यों जाती हैं? वह इस बारे में पीएम से बात क्यों नहीं करते? क्या उनमें इस पर बोलने की हिम्मत नहीं है? महाराष्ट्र में वेदांत-फॉक्सकॉन द्वारा अपने ₹1.54 लाख करोड़ के सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए गुजरात को चुनने के बाद एक राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष के सदस्य और विपक्ष पड़ोसी गुजरात को जा रही अरबों की परियोजना के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भारतीय समूह वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज फॉक्सकॉन की संयुक्त उद्यम अर्धचालक परियोजना को पहले पुणे शहर के पास स्थापित करने का प्रस्ताव था, अब गुजरात में आएगी।
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एमवीए की मेहनत खाली गई
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने दो दिन पहले घोषणा के बाद एकनाथ शिंदे-भारतीय जनता पार्टी सरकार को घेरने की मांग की है कि संयंत्र गुजरात में स्थापित किया जाएगा। महाराष्ट्र में नहीं, जबकि सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर परियोजना पर झूठे दावे करने का आरोप लगाया।ठाकरे सरकार के मुताबिक, जब वे सत्ता में थे, तो उन्होंने सौदे को तोड़ने की पूरी कोशिश की ताकि महाराष्ट्र को चिप प्लांट मिल सके। हालांकि जैसे ही शिंदे और भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र शासन संभाला, वेदांत-फॉक्सकॉन के साथ सौदा गुजरात के हाथ में आ गया।
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