नई दिल्ली : आज उधम सिंह का पुण्यतिथि है। पंजाब के जालियांवाला बाग हत्याकांड के मुख्य आरोपी अंग्रेज जनरल डायर को उसके ही देश लंदन में जाकर खुलेआम गोली मारकर अपने देशवासियों की मौत का बदला लिया था। उनकी वीरगाथा के किस्से आज भी बड़े ही चाव से सुने सुनाए जाते हैं।
जनरल डायर को मारने के लिए वे 13 मार्च 1940 को लंदन गए।
कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक बैठक चल रही थी जहां जनरल डायर मौजूद था। उधम सिंह भी इस बैठक में पहुंचे यहां उन्होंने अपने हाथ में एक किताब रखी थी जिसमें बंदूक छुपाकर उन्होंने रखा हुआ था। बैठक खत्म होते ही उधम सिंह ने बंदूक की गोलियां डायर के सीने में उतार दी थी।
इसके लिए उन्हें लंदन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। बताया जाता है कि जनरल डायर से बदला लेने के लिए उधम सिंह 21 साल तक सही मौके का इंतजार कर रहे थे। उन्हें 31 जुलाई 1940 को लंदन के जेल में फांसी दी गई थी जहां वो हंसते-हंसते फंदे पर झूल गए थे।
कहा जाता है कि उनका असली नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद था और पासपोर्ट बनवाने के लिए उन्होंने अपना नाम बदल कर उधम सिंह कर लिया था। जिस समय 1919 में जालियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था वे मैट्रिक की परीक्षा पास कर चुके थे। इसी घटना के बाद से उन्होंने आजादी की लड़ाई में कूदने का फैसला किया और क्रांतिकारी बन गए।
जनरल डायर को जालियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को अंजाम देने के बाद वापस लंदन बुला लिया गया था ताकि वह वहां सुरक्षित रहे हिंदुस्तानियों के गुस्से का शिकार ना बनने पाए। लेकिन उसे क्या पता था कि एक क्रांतिकारी हिंदुस्तानी उसका शिद्दत से पीछा कर रहा है और उसकी जान का दुश्मन बना हुआ है।
कहा जाता है कि जब लंदन के हॉल में उधम सिंह ने जनरल डायर को गोली मारी तो गोली मारने के बाद वहां से वह भागे नहीं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दी। इसके बाद साल 1940 में उन्होंने 31 जुलाई के दिन फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। ये देश हमेशा उधम सिंह जैसे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी को याद करता रहेगा।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।