यूक्रेन में रूस जंग लड़ रहा है। यूक्रेन के शहर दर शहर तबाह हो रहे हैं। 37 दिन की लड़ाई के बाद भी तस्वीर साफ नहीं है कि जीत या हार किसकी हो रही है। इन सबके बीच तनाव की लकीरे अमेरिकी और नाटो मुल्कों पर देखी जा सकती हैं। अमेरिका की तरफ से बयान दर बयान आ रहे हैं। अमेरिका एक तरह से उन मुल्कों को धमका रहे हैं जो या तो तटस्थ हैं या उसके साथ नहीं हैं। ताजा मामला भारत के संदर्भ में हैं। अमेरिका के डिप्टी एनएसए दिलीप सिंह भारत के दौरे पर थे और बयान दिया कि अगर चीन ने एलएसी पर उल्लंघन किया तो भारत की रक्षा के लिए रूस दौड़े दौड़े नहीं आएगा। उनके इस बयान पर यूएन नें स्थानी प्रतिनिधि रहे सैय्यद अकबरूद्दीन ने करारा जवाब दिया।
कड़ी प्रतिक्रिया
सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि तो यह है हमारा दोस्त हैं। यह कूटनीति की भाषा नहीं है ।यह जबरदस्ती की भाषा है। कोई इस युवक को बताएं कि दंडात्मक एकतरफा आर्थिक उपाय प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
अमेरिका के डिप्टी एनएसए ने क्या कहा
अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह ने मास्को और बीजिंग के बीच असीमित साझेदारी का जिक्र करते हुए कहा था कि रूस पर जितना प्रभाव चीन बनाएगा वह भारत के लिए उतना ही प्रतिकुल होगा। उन्हें नहीं लगता कि कोई इस बात को स्वीकार करेगा कि यदि चीन ने एलएसी का उल्लंघन किया तो रूस ,भारत की रक्षा के लिए दौड़ा चला आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में सक्रियता से गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि वह रूस से ऊर्जा और अन्य वस्तुओं सहित भारत के आयात में तेजी नहीं देखना चाहेगा।
तो क्या इसलिए अमेरिका है नाराज
बता दें कि हाल ही में रूस ने भारत को 15 मिलियन बैरल तेल डिस्काउंट रेट पर देने की पेशकश की है जो अमेरिका को नागवार गुजर रहा है। ब्लूमबर्ग ने गुरुवार को बताया कि रूस भारत को तेल की सीधी खरीद पर बड़ी छूट दे रहा है क्योंकि यूक्रेन पर उसके आक्रमण पर कड़े प्रतिबंधों के बाद अन्य देशों को बिक्री घट रही है। रूस 35 डॉलर प्रति बैरल तक उच्च ग्रेड तेल बेचने को तैयार है। वैश्विक कीमतों में नवीनतम उछाल के बाद बढ़कर 45 डॉलर प्रति बैरल हो सकता है। रूस चाहता है कि भारत पहले सौदे में 15 मिलियन बैरल खरीद ले। इसके साथ ही पुतिन ने पश्चिमी देशों को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें गैस का भुगतान रूबल में ही करना होगा।
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