राजनीतिक दल के नेता समय समय पर एकदूसरे से मिलते रहते हैं। अक्सर हर मुलाकात चर्चा के केंद्र में नहीं होती। यह बात अलग है कि कभी कभी कुछ मुलाकातें खास बन जाती हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात और मंथन किया। उनकी अगली दौर की बैठक शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से होनी है। अब यह सामान्य दिनों की तरह मुलाकात होती तो बात कुछ और होती। लेकिन जिस समय काल परिस्थिति में दिग्गज चेहरे एक दूसरे से रूबरू हुए या होने वाले हैं वो सामान्य सी कहानी को नहीं बयां करते।
योगी- शाह की खास मुलाकात
विश्लेषकों की राय में शाह- योगी मुलाकात और मोदी- नड्डा- योगी की मुलाकात खास है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि मोदी सरकार जिस तरह से चौंकाने वाले फैसले करती रही है उसे लेकर लोग सिर्फ कयास लगा सकते हैं। लेकिन यह बात सच है कि यूपी में विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं और 6 महीने से कुछ ज्यादा का समय बचा हुआ है। ऐसी सूरत में कोई भी राजनीतिक दल जो हर चुनाव को फतेह करने के लिए लड़ती है तो तैयारी शुरू हो जाती है।
अनुप्रिया- शाह मुलाकात लगने लगे कयास
गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मुलाकात की तो कयास लगने लगे कि योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद गृहमंत्री शाह ने उनसे क्यों मिले। लेकिन इस सवाल का जवाब तब आया जब निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भी मुलाकात की। अब इन मुलाकातों के पीछे और आगे क्या हो सकता है उसके बारे में जानकारों की राय को समझना जरूरी है।
जानकारों की राय
अगर यूपी की मौजूदा सरकार की बात करें तो कोविड 2 के प्रबंधन में कागजों पर पुख्ता बंदोबस्त और जमीन पर खामी नजर आई उससे आलाकमान परेशान दिखा। दरअसल अगर विपक्ष किसी सरकार पर सवाल उठाए तो सत्ता पक्ष या सत्तासीन पार्टी को कहने का मौका मिलता है कि विपक्ष का आखिर काम ही क्या। लेकिन अगर अपने ही सवाल उठाने लगे तो क्या होगा। जिस तरह से कानून मंत्री बृजेश पाठक और सांसद कौशल किशोर ने आवाज बुलंद की उसकी वजह से सरकार की बदनामी हुई।
इसके अलावा जिस तरह से संगठन और संघ ने लखनऊ में नेताओं से बातचीत के बाद जायजा लिया उससे संदेश गया कि सबकुछ ठीक नहीं है। अह उस सब कुछ ठीक नहीं को ठीक करने के लिए पार्टी के शीर्ष स्तर पर किए मंथन को अमलीजामा पहनाने की तैयारी है, बदलाव का स्वरूप क्या होगा वह भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन इस समय यूपी की सियासत पर बीजेपी के साथ साथ दूसरे दलों की नजर भी टिकी है।
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