नई दिल्ली। कोरोना की महामारी से दुनिया अभी उबरा नहीं है। दुनिया के अलग अलग इस खतरनाक बीमारी से निपटने के लिए सुरक्षा कवच यानी कोरोना वैक्सीन पर काम कर रहे हैं।उसी क्रम में भारत में आवाज उठती थी कि हमारी सरकार क्या कर रही है। इस संबंध में जब नए साल के पहले और दूसरे दिन सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कोविशील्ड और स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन पर मुहर लगा दी तो सियासत के केंद्र में कोवैक्सीन आ गई। विपक्ष के अलग अलग चेहरों ने अलग अलग अंदाजा में निशाना साधा तो बचाव में सरकार ने और सत्ताधारी बीजेपी के कूदना पड़ा। बीजेपी ने विपक्ष द्वारा इसे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का अपमान बताया।
कोवैक्सीन पर संदेह की वजह नहीं
कोवैक्सीन पर सवाल क्यों उठ रहा है उसके पीछे वजह यह है कि इसे फेज थ्री ट्रायल के डेटा के बगैर उतारा गया है। विपक्ष का कहना है कि जब दुनिया में इस्तेमाल की जा रही वैक्सीन को फेज थ्री के बाद उतारा गया तो कौवैक्सीन को सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस तरह का आरोप मढ़ना सही नहीं है। जहां तक कोवैक्सीन का सवाल है तो मंजूरी दिए जाने के वक्त जिस शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है उसे विरोध में खड़े लोगों को पढ़ना चाहिए। यह बात सच है कि कोवैक्सीन फेज थ्री के नतीजे सामने नहीं हैं। लेकिन आपातकाल में भी प्रतिबंधों के साथ कुछ खास रोगियों पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है और यही शब्दावली कोविशील्ड से इसे अलग करती है।
भारत बायोटेक ने रखा पक्ष
भारत बायोटेक के सीएमडी ने कहा जिस तरह से वैक्सीन को सवालों के घेरे में लाया जा रहा है वो वैज्ञानिकों की मेहनत पर पानी फेरने जैसा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि फेज 1 और 2 के रिजल्ट से संबंधित प्रकाशन अब सार्वजनिक किया जा चुका है। इसके साथ ही फेज थ्री के डेटा को भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में तमाम वैक्सीन हैं जिन्हें फेज 2 के दौरान ही उतार दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बिना नाम लिए एसआईआई के मालिक के बारे में कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि शेष वैक्सीन पानी हैं तो उसके बारे में क्या कहा जाए
सियासत चमकाने के लिए सवाल
अब सवाल यह है कि भारत बायोटेक के सीएमडी और डीसीजीआई ने जब भरोसा दिया कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। अगर तनिक भी वैक्सीन पर संदेह होता उसे इजाजत नहीं दी जा सकती थी। कोवैक्सीन के बारे में पुख्ता नतीजों के बाद ही अनुमति दी गई है तो सवाल यह है कि विपक्ष इस तरह की बातें क्यों कर रहा है। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि जिस तरह से भारत ने स्वदेशी निर्मित वैक्सीन को मंजूरी दी उससे दुनिया में मोदी सरकार की धाक बढ़ी है। कुछ वैज्ञानिकों मे तकनीकी आधार पर वैक्सीन के दूसरे पक्ष को रखा है जिसे विपक्षी दलों को मोदी सरकार को घेरने का हथियार नजर आया।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।