गुलाम नबी आजाद की नाराजगी के पीछे की वजह समझें, सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी

देश
रंजीता झा
रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Aug 17, 2022 | 13:42 IST

जम्मू -कश्मीर में कांग्रेस की बनी नई कमिटी से नाराज़ गुलाम नबी आज़ाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कोई जिम्मेदारी नहीं लेने का कारण बताया। आजाद का आरोप है कि कमिटियों की नियुक्ति में राय नही ली गयी।

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गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के कद्दावर नेता  |  तस्वीर साभार: PTI

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद फिर एकबार नाराज हो गए हैं। कहा जा रहा है कि उनसे गृह राज्य यानी जम्मू-कश्मीर में हुए संगठनात्मक बदलाव और नियुक्तियों के बारे में पूछा तक नहीं गया। वह इसी बात से नाराज हो गए हैं। मंगलवार देर रात उन्होंने अपने पीए के माध्यम से सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भिजवाकर कमिटी में किसी भी तरह की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया।  हालांकि, सूत्रों का कहना है कि नई कमेटी बनाने से पहले कई दौर की बैठक हुई थी। 14 जुलाई को अंतिम चर्चा में आज़ाद की राय ली गई थी।

उनके अलावा देवसर के पूर्व विधायक मोहम्मद अमिन भट, शांगुस के पूर्व विधायक गुलज़ार अजमद वानी, सुरनकोट के मोहम्मद अकरम और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के महासचिव एसएस चन्नी जैसे बड़े नेताओं ने नई कमेटी से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है की ये सभी गुलाम नबी आज़ाद के करीबी हैं।

ये है आज़ाद की नाराज़गी का कारण --

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाम नबी आजाद की चाहत अपनी पार्टी की तरफ से जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने की है। कहा जा रहा है कि वह अपने अनुभव और कद को देखते हुए पार्टी से इसकी घोषणा करवाना चाहते हैं। आपको बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश में अभी चुनावों की तारीख की घोषणा नहीं हुई है। आजाद की तरह उनके समर्थकों की भी यही चाह है। इसके लिए वे उनके कद और उम्र की दलील दे रहे हैं। इसके अलावा गुलाम नबी आजाद तारिक हमीद कर्रा जैसे नेता के नेतृत्व में कमेटी बनाने से भी नाराज है। 

गुलाम आजाद का मानना है की जब वे पहले से ही कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं, सोनिया गांधी को सलाह देने वाली पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के अहम अंग हैं तो राज्य में इसी तरह की कमेटी में रखने का कोई मतलब नहीं है।

कहा जा रहा है कि कमेटी के बाकी सदस्यों को नॉमिनेट करने में भी गुलाम नबी आजाद से कोई चर्चा नहीं किया गया। कांग्रेस के दिग्गज नेता इस वजह से भी काफी नाराज चल रहे हैं।

गुलाम नबी आजाद को कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाने की घोषणा से पहले संगठन महासचिव वेणुगोपाल ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इसके बारे में नहीं बताया। इस कारण से पार्टी की बात बाहर आ गई। अब हालांकि पार्टी डैमेज कंट्रोल में भी जुट गई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। आजाद सबसे वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि वह सीएम पद के लिए सबसे योग्य हैं। 

कांग्रेस महासचिव कैसी वेणुगोपाल ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष ने गुलाम नबी आजाद को प्रचार समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ आजाद का नाम राजनीतिक मामलों की समिति में भी पहले नंबर पर था। आजाद ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जिम्मेदारी लेने से इंकार किया है। हालांकि, उन्होंने खुद पर भरोसा जताने के लिए पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद भी दिया है। 

गुलाम नबी आजाद पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं। असंतुष्ट नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी में कुछ अहम बदलाव की मांग की थी। वैसे, पिछले कुछ महीनों में असंतुष्ट खेमा कमजोर पड़ा है। जनाधार वाले कई नेता असंतुष्ट खेमा छोड़कर पार्टी के पास वापस आ गए हैं।

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