नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि यहां हालात को संभालने के लिए सेना बुलाई जा रही है। लेकिन गृह मंत्रालय ने ऐसी खबरों को खारिज किया है। सरकार ने इस न्यूज रिपोर्ट को सच्चाई से दूर बताया है और साफ किया कि यहां सिर्फ सशस्त्र बलों से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों को ही कुछ स्वास्थ्य केंद्रों में सहयोग के लिए बुलाया गया है।
गृह मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' की बुधवार की उस न्यूज रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में हालात बिगड़ते देख केंद्र ने यहां सेना बुलाई है। गृह मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि यह रिपोर्ट 'सच्चाई से दूर' है। यहां सेना को नहीं बुलाया गया है, बल्कि सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के केवल चिकित्साकर्मियों को ही दिल्ली में कुछ चिकित्सा केंद्रों पर मदद के लिए बुलाया गया है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर 73 हजार 780 हो गया है, जबकि 2 हजार 429 लोगों की अब तक जान जा चुकी है। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यहां कई कोविड-19 केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें छतरपुर इलाके में राधा स्वामी ब्यास के परिसर में बनाया गया 10,000 बिस्तरों वाला कोविड-19 केंद्र भी शामिल है।
'रॉयटर्स' ने अपनी रिपोर्ट में छतरपुर स्थित इस कोविड केंद्र के अतिरिक्त रेलवे कोचों को कोविड वार्ड बनाए गए केंद्रों का प्रबंधन भी सशस्त्र बलों द्वारा किए जाने की बात कही थी। लेकिन अब सरकार ने इसे सिरे से खारिज किया है।
यहां उल्लेखनीय है कि छतरपुर के राधा स्वामी ब्यास परिसर में निर्मित कोविड-19 केंद्र की जिम्मेदारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने अपने हाथों में ली है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर इसे केंद्र की नोडल एजेंसी बनाया गया है। आईटीबीपी ने यहां लगभग 1,000 स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती की है, जिनमें डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ भी शामिल हैं।
आईटीबीपी के प्रमुख एसएस देशवाल ने शुक्रवार को केंद्र का दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया और डॉक्टर्स तथा पैरामेडिकल स्टाफ से बात कर उन्हें चिकित्सा व प्रशासनिक नियमों से अवगत कराया।
अधिकारियों के अनुसार, इस केन्द्र में दो हिस्से होंगे। पहले हिस्से में कोविड देखभाल केन्द्र होगा, जिसमें उन रोगियों का इलाज किया जाएगा, जिनमें लक्षण नहीं दिखे हैं। वहीं, दूसरे हिस्से में लक्षण वाले रोगियों का इलाज किया जाएगा। पहले हिस्से में मरीजों के लिए 90 प्रतिशत और दूसरे हिस्से में 10 प्रतिशत बिस्तर होंगे।
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