नई दिल्ली: साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से बीजेपी को प्रचंड मत मिली और केंद्र में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई। वहीं यूपी में साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास रच दिया। यह इतिहास कोई करिश्मा या चमत्कार होने की वजह से नहीं रचा गया था बल्कि सोची समझी नीति के धरातल पर उतरने की वजह से संभव हो पाया था। यह सोची समझी रणनीति थी यूपी बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल की।
पीएम मोदी और शाह के खास
नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खास माने जाने वाले सुनील बंसल आज (20 सितंबर) को 52 साल के हो गए हैं। वर्ष 2014 में जब अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाया गया था तो उन्होंने यूपी में बूथ मैनेजमेंट का जिम्मा सुनील बंसल को सौंपा था। सुनील बंसल ने अपने नेतृत्व कौशल और संगठन शिल्पी होने का परिचय दिया और यूपी में भाजपा 80 में से 73 सीटें जीतने में कामयाब रही। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री रहे सुनील बंसल ने 2014 के लोकसभा चुनावों में जीत के बाद ही उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया था।
बूथ लेवल तक साधते हैं संपर्क
सुनील बंसल ने यूपी में जातीय समीकरणों को नजदीक से समझा और बूथ लेवल तक दलित, ओबीसी और महिलाओं को सीधे पार्टी की गतिविधि से जोड़ा। पूरे प्रदेश में सुनील बंसल ने विस्तारक नियुक्त किए और उनको बाकायदा प्रशिक्षण दिया। इन विस्तारकों का कार्य लोगों के बीच जाकर संगठन का विस्तार और प्रचार-प्रसार करना और नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को समझाना था। उनकी इसी रणनीति के चलते यूपी में बीजेपी की 2 करोड़ से ज्यादा सदस्यता हुई।
इस तरण बनाते है रणनीति
जातीय समीकरण और प्रत्याशियों के वर्चस्व के तालमेल के बाद ही यूपी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी तय किए गए। हर बूथ तक पार्टी संगठन तैयार किया गया। नेताओं की चुनावी रैलियों और अलग-अलग कार्यक्रमों का खाका खींचा गया। जमीन के साथ-साथ सोशल मीडिया बंसल की योजना का अहम हिस्सा रही। यूपी में आईटी सेल के निर्माण का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। यूपी चुनाव में बूथ मैनेजमेंट से लेकर अलग-अलग कैंपेन के जरिए पांच करोड़ से ज्यादा लोगों को जोड़ने की रणनीति पर काम किया। वहीं उन्होंने प्रदेश की ‘विभाजित’ भाजपा को जोड़ने की मुश्किल मुहिम शुरू की। चुनाव के दौरान अकेले बंसल ने 60 लोकसभा क्षेत्रों में असंतुष्टों से संपर्क साधा और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया।
राजस्थान से आते हैं सुनील बंसल
20 सितंबर 1969 को राजस्थान में जन्में सुनील बंसल बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं। अपने छात्र जीवन में इन्होने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर राजनीति का ककहरा सीखा। 1989 में राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने कई धुरंधरों को पीछे कर युवा सुनील बंसल को उतारा। बेहद कड़े मुकाबले में बंसल ने एबीवीपी को जीत दिलाई और राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। इसके बाद सुनील बंसल ने मुड़कर नहीं देखा।
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