लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार औद्योगिक भूमि की किल्लत को कम करने के लिए अब बंद पड़ी सरकारी टेक्सटाइल मिलों की भूमि के इस्तेमाल की तैयारी कर रही है। इसके लिए जल्द ही इन भूमि की देनदारी को चुकाया जाएगा। फिलहाल सरकार के पास करीब एक लाख हेक्टेअर का लैंड बैंक हैं। और मांग को देखते हुए अतिरिक्त लैंड बैंक तैयार करने की योजना है। मिलों की देनदारी चुकाने की जिम्मेदारी अवस्थापना और औद्योगिक विकास विभाग को दी गई है।
इन मिलों की जमीन का होगा इस्तेमाल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड की 22.89 एकड़, उत्तर प्रदेश राज्य स्पिनिंग मिल लिमिटेड की 322.35 एकड़, उत्तर प्रदेश राज्य यार्न लिमिटेड की 212.79 एकड़, उत्तर प्रदेश सहकारी कताई मिल्स संघ लिमिटेड की 705.27 एकड़ सहित कुल 1461 एकड़ जमीन है। यह जमीन मेरठ, हरदोई, झांसी, प्रयागराज, बांदा बलिया, मऊ, रायबरेली और बाराबंकी, अमरोहा, बरेली, गाजीपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बिजनौर, संतकबीरनगर और बुलंदशहर जिले में है।
इन मिलों पर देनदारी भी है, जिसके भुगतान की व्यवस्था अवस्थापना और औद्योगिक विकास विभाग को दी गई है। औद्योगिक और अवस्थापना विभाग की अगले दो सालों में मिलों की देनदारी चुकाकर भूमि का व्यवसायिक कार्यों में इस्तेमाल करने की तैयारी है। इसी कड़ी में जौनपुर में यार्न मिल की 50 एकड़ भूमि हाल ही में मेडिकल कॉलेज को दी जा चुकी है।
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ग्लोबल समिट में भी मुख्यमंत्री ने कहीं थी ये बात
इसके पहले ग्लोबल समिट की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि राज्य में करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि का लैंड बैंक है। समिट से पहले हम लैंड बैंक को और विस्तार दें। इसके लिए राजस्व विभाग की एक टीम गठित करने और जमीन की पहचान करने का भी सुझाव दिया गया था। सरकार की ओर से नए उद्योगों की स्थापना को लेकर लैंड बैंक बनाया गया है और एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे भी बनाए जा रहे हैं।
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