नई दिल्ली : चीन और पाकिस्तान के करीबी पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि उनका देश कांग्रेस नेता के इस बयान का समर्थन नहीं करता है। चीन-पाकिस्तान को ही अपने संबंधों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में शरीक होते हुए राहुल ने बुधवार को कहा कि 'प्रधानमंत्री की गलत नीतियों की वजह से चीन और पाकिस्तान करीब आए।'
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए राहुल ने कहा कि ‘मेरे परनाना (जवाहरलाल नेहरू) इस राष्ट्र को बनाने के लिए ही 15 साल तक जेल में रहे, मेरी दादी (इंदिरा गांधी) को 32 गोलियां मारी गईं और मेरे पिता (राजीव गांधी) को विस्फोट से उड़ा दिया गया। इन्होंने इस राष्ट्र को बनाने के लिए अपनी कुर्बानी दी। इसलिए मैं थोड़ा बहुत जानता हूं कि राष्ट्र क्या है।’सीमा पर चीन की आक्रामकता और पाकिस्तान की सीमा से जुड़ी चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘आप खतरे को हल्के में मत लीजिए। आप चीन और पाकिस्तान को साथ ला चुके हैं, यह भारत के लोगों के साथ सबसे बड़ा अपराध है।’
राहुल गांधी का बड़ा आरोप, 'मोदी सरकार की नीतियों ने देश को बड़े खतरे में डाला, चीन और पाकिस्तान एक साथ आ गए'
राहुल के इस बयान पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्री ने कहा, 'राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया कि इस सरकार के कारण पाकिस्तान और चीन एकजुट हो गए हैं। कुछ ऐतिहासिक सबक इस प्रकार हैं: 1963 में, पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी को चीन को सौंप दिया ; चीन ने 1970 के दशक में पीओके के रास्ते से काराकोरम राजमार्ग का निर्माण किया। 2013 में, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शुरू हुआ। तो, अपने आप से पूछें: क्या चीन और पाकिस्तान तब दूर थे?' जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच 1970 के दशक से घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी रहा है।
राहुल गांधी का गंभीर आरोप, 'मोदी सरकार ने दो हिंदुस्तान बना दिए, एक अमीरों और दूसरा गरीबों के लिए'
राहुल ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश के कई अहम मुद्दों को जगह नहीं दी गई। उन्होंने कहा, ‘अभिभाषण में कई रणनीतिक मुद्दों को नहीं छुआ गया है। कई प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख नहीं हुआ। तीन बुनियादी विषयों पर इसमें बात नहीं हुई। सबसे महत्वपूर्ण है कि अब दो भारत हैं। एक अमीरों का हिंदुस्तान है, दूसरा हिंदुस्तान गरीबों के लिए है। इनमें खाई बढ़ती जा रही है।’
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