गाजियाबाद और नोएडा की जेलों के कैदियों ने बना दिए 85000 मास्क, धोकर फिर किए जा सकेंगे उपयोग

देश
लव रघुवंशी
Updated Apr 14, 2020 | 17:37 IST

Face Mask: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और नोएडा की जेलों के कैदियों ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए 85000 से ज्यादा मास्क बनाए हैं। गाजियाबाद की डासना और नोएडा की लुक्सर जेल के कैदी मास्क बना रहे हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर 

नोएडा/गाजियाबाद: वैश्विक महामारी कोरोनो वायरस के प्रकोप से लड़ने के लिए हर कोई एकजुट हो गया है। जेल में बंद कैदी भी इस लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं। कई जेलों के कैदी मास्क बनाने का काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर की जेलों के कैदियों ने भी इस घातक वायरस से लोगों को बचाने के लिए लगभग 85,000 कॉटन मास्क बनाए हैं। इन मास्क को धोया भी जा सकता है।

आधिकारिक तौर पर आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन दो जिलों में 107 मामले दर्ज किए गए हैं। अभी तक गाजियाबाद में 27 और नोएडा में कोरोना के 80 मामले दर्ज किए गए हैं। 85000 में से 57,000 से अधिक मास्क गाजियाबाद की डासना जेल में बनाए गए हैं, जबकि 27,500 को गौतम बौद्ध नगर की लुक्सर जेल में बनाया गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मार्च में होली के त्योहार के बाद इन दो जेलों में काम शुरू हो गया था। डासना और लुक्सर जेल के अधीक्षक विपिन मिश्रा ने PTI को बताया, 'जैसे ही कोरोनो वायरस के प्रकोप के बारे में अधिक से अधिक जानकारी आने लगी, तो कुछ कुशल जेल कैदियों ने स्वेच्छा से ये काम करना शुरू किया। डासना जेल में लगभग 20 कैदी और लुक्सर में 12-14 कैदी काम में लगे हुए हैं। कैदियों को उनके काम के लिए 25 से 40 रुपए दैनिक वेतन मिलता है।' 

उन्होंने बताया, 'यहां मास्क बनाने वालों को इसके अलावा प्रति मास्क 1 रुपए मिलता है। मास्क में इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा स्थानीय स्तर पर खरीदा जाता है। इन मास्क के साथ एक फायदा है। इन्हें धोया जा सकता है और फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। कैदियों ने लगभग 85,000 धोने योग्य कॉटन के मास्क बनाए हैं।

उन्होंने काम में लगे कैदियों की प्रतिबद्धता और इरादे की भी सराहना की। मिश्रा ने कहा, 'दुनिया में सभी तरह के लोग हैं, अच्छे और बुरे। यहां भी बहुत से अच्छे लोग हैं जिन्होंने अब इस काम के लिए खुद को समर्पित कर दिया है।'

ये मास्क कुछ एनजीओ को दिए जाएंगे, जो कि गरीब लोगों तक इनको पहुंचाएंगे। 

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