घर पर ही करवानी पड़ी डिलीवरी, नवजातों की हुई मौत, अस्पताल-अस्पताल भटकी महिला की भी गई जान

देश
लव रघुवंशी
Updated Jun 13, 2020 | 09:26 IST

उत्तराखंड के देहरादून में एक महिला समय से पहले 7वें महीने में जुड़वा बच्चों को जन्म दे देती है। केयर न मिलने पर बच्चों की मौत हो जाती है। महिला को भी कोई अस्पताल भर्ती नहीं करता, उसकी भी मौत हो जाती है।

Dead body
कोरोना काल में बिगड़ रहे हालात 
मुख्य बातें
  • कोरोना काल में इस तरह के मामले देशभर से लगातार सामने आ रहे हैं
  • कई बार गंभीर हालत होने पर भी अस्पताल मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं
  • अस्पतालों में एडमिशन नहीं मिलने पर कई लोगों की जान एंबुलेंस में ही चली गई है

नई दिल्ली: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से हैरान और परेशान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक महिला की मौत हो जाती है, क्योंकि 4 अस्पताल उसे भर्ती करने से मना कर देते हैं। महिला ने 2 दिन पहले ही जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। सचिव (स्वास्थ्य), मुख्य चिकित्सा अधिकारी (AMCO) और डीएम ने मामले में तीन अलग-अलग जांच के आदेश दिए हैं।

परिवार के अनुसार, 09 जून को घर में दो जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद महिला की हालत बिगड़ गई। नवजातों की भी देखभाल के अभाव में मृत्यु हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती होने का प्रयास किया, लेकिन डॉक्टरों द्वारा यह कहकर टाल दिया गया कि डिलीवरी 9वें महीने में होगी, लेकिन उसने 7वें महीने में ही बच्चों को जन्म दे दिया। नवजातों की मौत के तीन दिन बाद उसकी भी मौत हो गई।

7वें महीने में दिया बच्चों को जन्म

'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के अनुसार, मृतक सुधा सैनी का पति कमलेश बिहार से है, जो पिछले 6 साल से देहरादून में रह रहा है। कमलेश ने बताया कि उसकी पत्नी को दून अस्पताल, गांधी अस्पताल, कोरोनेशन अस्पताल और दो निजी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया। वह सुधा को गांधी अस्पताल से भी वापस ले आया क्योंकि डॉक्टरों ने कहा कि उसकी गर्भावस्था के सिर्फ 7 महीने हैं और उसे 9वें महीने में आना चाहिए। 

अब होती रहेगी जांच!

जब पीड़ित परिवार विधायक हरबंस कपूर से संपर्क करने में कामयाब रहा, तो उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीसी रमोला को प्राथमिकता के आधार पर महिला को अस्पताल में भर्ती कराने को कहा। CMO ने कहा, 'मैंने दून अस्पताल को तुरंत उसे लेने के लिए कहा, लेकिन सवाल यह है कि जब वह इतनी गंभीर थी, तो तीन सरकारी अस्पतालों ने उसे कैसे लौटा दिया। हम 108 एंबुलेंस के लॉकेशंस की मांग कर रहे हैं जो उसे अस्पतालों में ले गईं और मामले में विभागीय जांच का आदेश दिया गया है।'


 

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