7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली में जो हुआ वो कभी भी ना भूलने वाली घटना बन गई, इस आपदा के बाद जहां तमाम लोगों को बचा लिया गया वहीं इस आपदा के बाद आई बाढ़ में बहे 136 लोगों का अभी तक कुछ पता नहीं चला है। राज्य सरकार ने अब सभी को मृत घोषित करने की तैयारी शुरू कर दी है, इस बारे में राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अधिसूचना जारी की है।
हालांकि चमोली और आस-पास के इलाकों में लगातार तलाश जारी है और यहां से अभी तक कुछ लोगों के शव बरामद हुए हैं वहीं कुछ लोगों को सुरक्षित भी निकाला गया।
बताया जा रहा है कि मंगलवार तक 70 लोगों के शव और कुछ मानव अंग मिल चुके हैं, इसके बावजूद अभी तक जिन लोगों की कोई जानकारी नहीं मिल सकी है, उन्हें अब मृत घोषित कर देने की तैयारी कर ली गई है।
136 अभी भी लापता थे कुल बरामद शवों में से 14 तपोवन जलविद्युत परियोजना स्थल पर टनल (Tapovan Tunnel) से मिले थे
वैसे जो लोग आपदा में लापता हो जाते हैं, उनका अगर 7 साल तक कुछ पता नहीं चलता तब उन्हें मृत घोषित किया जाता है,लेकिन इस मामले में, बर्थ एंड डेथ्स ऐक्ट 1969 के पंजीकरण के प्रावधानों को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए चार लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है जबकि केंद्र द्वारा दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की गई है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी ने कहा कि प्रभावित जिले में अधिकारियों द्वारा केवल गुमशुदगी के मामले में मौत की अनुमान लगाया जा सकता है, जो आपदा में मारे गए हैं, लेकिन उनके शव नहीं मिले हैं।
नेगी ने कहा कि इस संबंध में 21 फरवरी को केंद्र द्वारा जारी एक एसओपी के आधार पर अधिसूचना जारी की गई थी। जून 2013 के केदारनाथ जलप्रलय के बाद केंद्र द्वारा एक समान एसओपी जारी किया गया था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लापता हो गए थे।
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