उत्‍तराखंड में मृतकों का आंकड़ा 68 पहुंचा, 14 हजार फीट की ऊंचाई पर IAF-Navy ने मापी झील की गहराई [Video]

उत्‍तराखंड में दो सप्‍ताह पहले ग्‍लेशियर फटने से हुई तबाही में जान गंवाने वालों की संख्‍या बढकर 68 हो गई है। इस बीच वायुसेना और नौसेना ने इस घटना के बाद बनी झील की गहराई मापी है।

उत्‍तराखंड में मृतकों का आंकड़ा 68 पहुंचा, 14 हजार फीट की ऊंचाई पर IAF-Navy ने मापी झील की गहराई [Video]
उत्‍तराखंड में मृतकों का आंकड़ा 68 पहुंचा, 14 हजार फीट की ऊंचाई पर IAF-Navy ने मापी झील की गहराई [Video] 

तपोवन : उत्‍तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ इलाके में 7 फरवरी को ग्‍लेशियर फटने से आई आपदा में मरने वालों का आंकड़ा पहुंचकर 68 हो गई है, जबकि 167 लोग अब भी लापता हैं। रविवार को तपोवन सुरंग से एक और शव बरामद किया। तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग से निकाले गए शव की पहचान झारखंड में लोहरदगा जिले के किसको क्षेत्र निवासी 27 वर्षीय सुनील बखला के रूप में की गई है।

तपोवन सुरंग से रविवार को एक शव की बरामदगी के साथ ही यहां से मिलने वाले शवों की संख्‍या 14 हो गई है। इस बीच ग्‍लेशियर फटने के बाद ऋषिगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में बनी झील की गहराई मापने के लिए वायुसेना व नौसेना की मदद ली गई। झील की गहराई का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना और नौसेना ने समुद्र तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर एक संयुक्‍त अभियान चलाया।

नौसेना-वायुसेना की मदद से मापी गई झील की गहराई

उत्‍तराखंड में ग्‍लेशियर फटने के बाद इस झील का निर्माण तपोवन इलाके में रैणी गांव के ऊपरी क्षेत्र में हुआ है, जिसकी पुष्टि सैटेलाइट तस्‍वीरों से हुई थी। इसकी लंबाई करीब 400 मीटर और गहराई 60 मीटर बताई गई है। नौसेना की ओर से रविवार को बताया गया कि झील की गहराई मापने के लिए वायुसेना के एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (HAL) की मदद से तपोवन के ऊंचाई वाले इलाके में बनी झील की गहराई मापी गई।

नौसेना के गोताखोरों ने समुद्र तल से तकरीबन 14 हजार फीट की ऊंचाई पर शनिवार को इस अभियान को अंजाम दिया। नौसेना ने कहा, 'गोताखोरों ने हेलिकॉप्टर से नीचे उतरने और हाथ में पकड़े जाने वाले इको साउंडर की मदद से गहराई नापने के चुनौतीपूर्ण अभियान को अंजाम दिया। इस दौरान पानी का तापमान लगभग जमाव बिंदू पर था।

इस पूरी कवायद के दौरान वायुसेना के पायलटों ने दुर्गम पहाड़ी इलाके में सटीक पोजीशन कायम रखी।' समझा जा रहा है कि झील से संबंधित नई जानकारी से वैज्ञानिकों को बांध की मिट्टी की दीवार पर दबाव का आकलन करने में मदद मिलेगी।

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