देहरादून : उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में रविवार को हिमखंड टूटने से अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि ने हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी तबाही मचाई है। इस घटना के बाद अब तक 9-10 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि करीब 50-100 लोग लापता हैं। इस घटना के बाद तपोवन-रैणी में स्थित बिजली संयंत्र पूरी तरह से बह गया है।
ऋषिगंगा ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक कामगार इस प्राकृतिक आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित बताए हैं तो इस घटना ने आठ साल पहले 2013 में केदारनाथ में आई भयावह आपदा की यादें ताजा कर दीं। गनीमत यह रही कि वर्ष 2013 की तरह इस बार बारिश नहीं थी और आसमान पूरी तरह साफ होने की वजह से हेलीकॉप्टर को भी उड़ान भरने में बाधा नहीं हुई, जिससे बचाव टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई।
ग्लेशियर टूटने के कई वीडियो सामने आए हैं, जो हालात की भयावहता को बयां करते हैं। चमोली जिले के तवोवन इलाके में रैनी गांव स्थित बिजली परियोजना के नजदीक ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में पानी के स्तर में अचानक बढ़ोतरी हो गई।
चमोली जिला मजिस्ट्रेट ने धौलीगंगा नदी के किनारे बसे गांवों में रहने वालों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। स्थानीय लोगों की मदद और राहत एवं बचाव कार्यों के लिए आईटीबीपी के जवानों को भी घटनास्थल पर भेजा गया है।
पुलिस और एसडीआरएफ के जवान पूरी तरह मुस्तैदी से जोशीमठ के पास आई आपदा से निपटने में लगे हैं। लापता लोगों को ढूंढा जा रहा है। बाढ़ से चमोली जिले के निचले इलाकों में खतरा देखते हुए राज्य आपदा प्रतिवादन बल और जिला प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है।
चमोली में आईटीबीपी के जवानों ने तपोवन डैम के नजदीक टनल में फंसे 16 लोगों को बाहर निकाला है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और ITBP के जवान राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
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