समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने कमेटी गठित की है। इस कमेटी में कुल पांच लोग होंगे जिसमें रिटायर्ड जज और आईएएस अफसर शामिल होंगे। इस कमेटी की अगुवाई रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का भारतीय संविधान (Indian Constitution) के भाग 4, अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि "राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।" भारत में समान नागरिक संहिता पर पहली याचिका 2019 में राष्ट्रीय एकता और लैंगिक न्याय, समानता और महिलाओं की गरिमा को बढ़ावा देने के लिए एक यूसीसी गठन की मांग के लिए दायर की गई थी।
अनुच्छेद 44 में यूसीसी का जिक्र
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों जैसा है जिसमें कहा गया है कि राज्य अपने नागरिकों के लिए भारत के पूरे क्षेत्र में एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) प्रदान करने का प्रयास करेगा। इस अनुच्छेद का उद्देश्य कमजोर लोगों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों में सामंजस्य स्थापित करना है। संविधान लिखे जाते समय समान नागरिक संहिता को कुछ समय के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया था। और इसे ध्यान में रखते हुए संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 35 को भारत के संविधान के भाग IV में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के एक भाग के रूप में अनुच्छेद 44 के रूप में जोड़ा गया। भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने संविधान सभा में अपने भाषण में कहा था कि किसी को इस बात से आशंकित होने की आवश्यकता नहीं है कि यदि राज्य के पास शक्ति है, तो राज्य तुरंत उस शक्ति को निष्पादित करने के लिए आगे बढ़ेगा, जिनपर मुसलमानों या ईसाइयों या किसी अन्य समुदाय द्वारा आपत्ति जताया जाता हो। मुझे लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो यह एक पागल सरकार होगी।
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