देहरादून : उत्तराखंड की सरकार ने देवस्थानम प्रबंधन बिल को वापस लेने का फैसला किया है। इसे लेकर उत्तराखंड में बीते 22 महीनों से विरोध-प्रदर्शन जारी था। मंदिरों के पुरोहित और पुजारी इसे लेकर विरोध जता रहे थे। राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह एक बड़ा मुद्दा बन गया था। प्रदर्शनकारियों ने कई जगह राज्य सरकार के मंत्रियों और बीजेपी नेताओं का घेराव भी किया, जिसके बाद अब सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, हमारी सरकार ने चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड बिल को वापस लेने का फैसला किया है।
समझा जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला भारी दबाव के बीच लिया है और इसके लिए शीर्ष नेतृत्व से भी गहन मंत्रणा की गई। सीएम धामी के हालिया दिल्ली दौरे को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। राज्य में आगामी चुनाव को देखते हुए कृषि कानूनों की ही तरह इसे बीजेपी के बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।
यहां उल्लेखनीय है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के एक साल से अधिक समय से जारी धरना-प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के अवसर पर तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था, जिसके बाद अब बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड की सरकार ने भारी विरोध प्रदर्शन के बीच चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड बिल को वापस लेने की घोषणा की है।
उत्तराखंड में इस कानून को राज्य में ब्राह्मण वोटर्स के एक तबके में बीजेपी से उनकी नाराजगी के तौर पर भी देखा गया। बीजेपी पहले से ही राज्य में 5 साल में तीन मुख्यमंत्री बदलकर बैकफुट पर आ चुकी है। इस कानून को लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच विपक्षी दलों ने उत्तराखंड की बीजेपी सरकार को हिंदू विरोधी पार्टी बताकर सियासी हमला शुरू कर दिया था।
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