देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले में आई त्रासदी के बाद प्रभावित इलाकों में लापता लोगों के लिए खोज अभियान जारी है। इस बीच डॉग स्क्वॉड, दूरबीन, राफ्ट और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए बचाव दल ने गुरुवार को तीन और शव निकाले।अधिकारियों का कहना है कि तपोवन परियोजना की एक सुरंग (Taopvan Tunnel) के अंदर और रैणी गांव क्षेत्र में चलाए जा रहे दो बचाव अभियानों में अब तक कुल 61 शव बरामद किए जा चुके हैं।
सुरंग के अंदर पानी और कीचड़ की मौजूदगी के कारण खुदाई का काम बाधित हो रहा है। हालांकि डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि बचाव अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक कि सुरंग के अंदर आखिरी व्यक्ति या पार्थिव शरीर नहीं मिल जाता।
एक टॉप सरकारी अधिकारी ने कहा, 'भारी कीचड़ की मौजूदगी और अत्यधिक सावधानी के साथ शवों को बाहर निकालने के लिए उठाए जा रहे एहतियाती कदमों के साथ ऑपरेशन धीमी गति से चल रहा है।'
एनटीपीसी के एक अधिकारी ने कहा कि सुरंग पहले ही 160 मीटर के स्तर तक खोदी जा चुकी है।सुरंग के अंदर खुदाई के काम के दौरान अब तक 13 शव मिले हैं। अधिकारी ने स्वीकार किया, 'हम और अधिक बॉडी (पार्थिव शरीर) की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि हम अब जीवित बचे लोगों के लिए उम्मीद नहीं कर रहे हैं।' अभी भी अंदर फंसे बाकी लोगों से कोई संपर्क नहीं है।
बचावकर्मी दो स्थानों पर काम कर रहे हैं। एक दल सुरंग के अंदर बचाव अभियान में जुटा है तो दूसरा दल रैणी गांव में ऋषिगंगा परियोजना के अवशेषों पर के पास अभियान में लगा है। रैणी गांव के पास बचाव अभियान में स्निफर कुत्तों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। विपरीत परिस्थितियों के बीच कई दिन खुदाई करने के बाद बचाव कार्य में लगी सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने सुरंग का एक हिस्सा खोलने में कामयाबी पाई है।
बता दें कि 7 फरवरी की सुबह ग्लेशियर टूटने से आई त्रासदी में करीब 200 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से 61 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। एक अधिकारी ने कहा है, 'हमें आशंका है कि अभी यहां और शव मिलेंगे। वहीं अंदर फंसे बाकी लोगों से अभी भी कोई संपर्क नहीं हो सका है।' इस समय बचावकर्मी सुरंग के अंदर और रैणी में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के पास काम कर रहे हैं। सुरंग के अंदर से शव मिलने के कारण बचाव दल धीरे-धीरे सुरंग खोद रहे हैं, ताकि शवों को कोई नुकसान न हो।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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