वरुण गांधी को असदुद्दीन ओवैसी हैं पसंद ! क्या है खास वजह

बीजेपी के सांसद वरुण गांधी अपनी सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ते। हाल ही में उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी ने नौकरियों को लेकर जो आंकड़े पेश किए हैं उसके लिए वो कृतज्ञ हैं।

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वरुण गांधी, बीजेपी सांसद 

वरुण गांधी वैसे तो बीजेपी के सांसद हैं। लेकिन अपने बयानों के जरिए वो अपनी पार्टी पर प्रत्यक्ष या परोक्ष तौक पर निशाना साधते रहते हैं। एआईएमएआईए के मुखिया जहां एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार पर कड़े शब्दों के जरिए प्रहार करते हैं वहीं वरुण गांधी को ओवैसी में कुछ खासियत नजर आती है। मसलन जब वो कहते हैं कि जॉब्स को लेकर ओवैसी ने जा आंकड़े पेश किये हैं उसके लिए वो कृतज्ञ हैं।

ओवैसी ने वरुण के आंकड़ों का किया जिक्र
बेरोजगारी आज देश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है और पूरे देश के नेताओं को इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। बेरोजगार युवाओं को न्याय मिले, तभी देश शक्तिशाली बनेगा।बेरोज़गारी आज देश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है और पूरे देश के नेताओं को इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहिए। बेरोज़गार नौजवानों को न्याय मिलना चाहिए,तभी देश शक्तिशाली बनेगा। मैं आभारी हूँ की रोजगार के ऊपर उठाए गए मेरे सवालों का ओवैसी जी ने अपने भाषण में ज़िक्र किया।

बेरोजगारी के मुद्दे पर साधा निशाना
वरुण गांधी इससे पहले मंत्रालयों और विभागों में रिक्त पदों की संख्या के विवरण के साथ एक ग्राफिक ट्वीट कर चुके हैं।"ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं जब बेरोजगारी 3 दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर है।नौकरियों के न मिलने से जहां करोड़ों युवा हताश और निराश हैं, वहीं 'सरकारी आंकड़ों' की माने तो देश में 60 लाख 'स्वीकृत पद' खाली हैं.  इन पदों के लिए आवंटित बजट कहां गया?  हर युवा को यह जानने का अधिकार है!

पहले भी बोलते रहे हैं वरुण गांधी
वरुण गांधी हाल ही में सरकारी पदों पर रिक्ति का मुद्दा उठाते रहे हैं, जबकि यह कहते हुए कि नौकरी के इच्छुक लोग हताश हैं और प्रशासनिक अक्षमता की कीमत चुका रहे हैं।वह अक्सर पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर और केंद्र पर सवाल उठाकर भाजपा को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा भी करते रहे हैं। वो खुले तौर पर निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के समर्थन में सामने आए थे, जबकि केंद्र में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार उनका बचाव कर रही थी। वह जन-केंद्रित मुद्दों पर स्टैंड लेते रहे हैं जो भाजपा की आधिकारिक स्थिति के अनुरूप नहीं हैं। तीन बार के लोकसभा सांसद को हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के लिए प्रचार करते नहीं देखा गया था।

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