Rajasthan News:पिछले कुछ समय से दिल्ली से दूरी बनाकर रखने वाली वसुंधरा राजे इस समय एक्शन में हैं। उनकी पिछले एक हफ्ते में न केवल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई है, बल्कि वह भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात कर चुकी हैं। अहम बात यह है कि वसुंधरा राजे इस दौरान उत्तराखंड में पुष्कर धामी और लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण में भी शिरकत कर चुकी है। वसुंधरा का बदला यह रूप कई सारे राजनीतिक संकेत दे रहा है।
दिसंबर 2023 में राजस्थान चुनाव
वसुंधरा राजे की इस सक्रियता की सबसे बड़ी वजह 2023 में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। अब चुनावों में करीब 20-21 महीने बचे हैं, तो ऐसे में वह केंद्रीय नेतृत्व के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने की कोशिश में हैं। जिससे कि उन्हें भाजपा, मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित कर सके। हालांकि ऐसा होना आसान नहीं है। क्योंकि जिस तरह से राजस्थान में उनकी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच संबंध हैं, उससे साफ है कि वसुंधरा राजे के लिए 2018 जैसी परिस्थतियां नहीं है। जब वह न केवल मुख्यमंत्री थी, बल्कि उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था।
केंद्रीय नेतृत्व से भी खट्टे-मीठे रिश्ते
वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच रिश्ते हमेशा से खट्टे-मीठे रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को बहुमत मिला था, उस वक्त राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 25 पर भाजपा जीतीं थी। उस वक्त वसुंधरा राजे का एक बयान काफी चर्चा में आया था। उन्होंने एक रैली में जनता को संबोधित करते हुए कहा था 'लोकसभा चुनाव में आपने 25 सांसद भेजे और विधानसभा चुनाव में 163 विधायक जिताए। किसी व्यक्ति को यह गुमान नहीं होना चाहिए कि ये जीत उसकी वजह से मिली है। जनता जिताने निकलती है तो दिल खोलकर और हराने निकलती है तो घर भेज देती है।'
इसी तरह स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत पर भी उन्होंने कहा था कि इसकी शुरूआत हम 2003 से ही कर चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व, 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व नए नेताओं को उभारने की कोशिश कर रहा था। जिसके बाद से ही वसुंधरा गुट खुल कर सामने आ गया।
राजस्थान में वसुंधरा राजे गुट खुल कर 2023 के लिए उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा है। इसी बीच सतीश पूनिया को केंद्रीय नेतृत्व और केंद्रीय मंत्रियों से मिल रहे समर्थन के बीच, वसुंधरा राजे ने प्रदेश भाजपा के कार्यक्रमों से दूरी बना रखी है। हालांकि वह अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए वह देव-दर्शन और जन्मदिन के बहाने राजस्थान में दौरे कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं। और उनको देख सतीश पूनिया ने भी देव-दर्शन और रैलियों की शुरूआत कर दी है। इसके अलावा राजस्थान में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने वसुंधरा को चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया।
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