नई दिल्ली: देश के दुसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद, देश के उपराष्ट्रपति चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. देश के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। यूँ कहने को तो राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुनाव से देश की सरकारें कोई बनती बिगड़ती नहीं है पर निश्चित तौर पर राजनीती में कौनसी पार्टी ताकतवर है इसका अनुमान तो लग ही जाता है। 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जायेंगे, उसी दिन मतगणना भी हो जाएगी तो हम कह सकते हैं की 6 अगस्त को देश को अपना अगला उपराष्ट्रपति मिल जायेगा।
वर्तमान उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है और 11 अगस्त को नये उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण करेंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ हैं वहीं विपक्ष की उम्मीदवार राजस्थान की पूर्व राज्यपाल वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा हैं। दोनों ही उम्मीदवार अपना नॉमिनेशन फाइल कर चुके हैं।
कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव ?
उपराष्ट्रपति चुनाव, राष्ट्रपति चुनाव की तरह बिल्कुल भी जटिल नहीं होता है। इस चुनाव के कई पहलु आम चुनाव जैसे ही होते हैं जिस कारण इस पूरी प्रक्रिया को समझना बहुत आसान है। हालांकि आम चुनाव की तरह जनता सीधे तौर पर उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं करती है बल्कि जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं। भारत के संबिधान के अनुच्छेद 66 (1) के अनुसार निर्वाचक मंडल के सदस्य अर्थात संसद के दोनों सदनों के सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सदस्यों को भी वोट डालने का अधिकार होता है।
जीतने के लिए कितने वोट जरूरी ?
उपराष्ट्रपति चुनाव में सभी सांसदों के वोट का मूल्य 'एक' होता है। राज्यसभा सदस्यों की मौजूदा संख्या 237 हैं। जिसमे 228 निर्वाचित सदस्य हैं, 9 मनोनीत सदस्य हैं. लोकसभा की मौजुदा संख्या 543 है। निर्वाचक मंडल में कुल सदस्य हुए 780 (237 + 543 = 780)। ऐसे में किसी भी उमीदवार को जीतने के लिए आधे से 'एक' अधिक अर्थात (390+1) 391 सदस्यों का वोट मिलना जरूरी है।
NDA के उमीदवार जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़ राजस्थान के किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, और जाट बिरादरी से आते हैं। राजस्थान में जाट समुदाय को आरक्षण दिलवाने में भी इनका बड़ा योगदान था. हालांकि अभी कुछ समय से ख़बरों में वो मुख्य तौर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ तना-तनी के कारण ही रहे हैं। जगदीप धनखड़ राजनीती के पुराने खिलाडी हैं और राज्यपाल से पहले वो सांसद, विधायक भी रह चुके हैं. 1990 के समय राजस्थान हाइकोर्ट में वकालत भी की है।
विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा
मार्गरेट अल्वा के राजनीतिक जीवन की शुरुवात 1974 में कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यसभा में चयन से हुई थी। बाद में सालों में वो गोवा, राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड के राज्यपाल की भूमिका भी निभा चुकी हैं। मार्गरेट अल्वा वैसे तो गाँधी परिवार की करीबी रहीं हैं हालांकि 2008 कर्नाटक विधानसभा में बेटे को टिकट ना मिलने पर अल्वा और सोनिया गाँधी के रिश्तों में खटास भी आ गई थी।
कौन बनेगा उपराष्ट्रपति ?
वर्तमान हालात में विपक्ष का मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार के तौर पर उतारना मात्र सांकेतिक विरोध से हटकर कुछ नहीं है। NDA के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ मात्र बीजेपी सांसदों के वोट से ही आराम से जीत हासिल कर लेंगे। वर्तमान में लोकसभा में बीजेपी के 303 सांसद हैं वहीं राज्यसभा में 91 सांसद हैं। इसका योग ही 394 बनता है जो बहुमत के आंकड़े से 3 ज्यादा है। कुछ गैर-NDA दल जैसे बीजू जनता दाल (BJD), YSRCP भी जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। अगर इसमें NDA के बाकी दल और 5 मनोनीत सांसद (जो बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं) को भी जोड़ दें तो जगदीप धनखड़ का जीतना तय है।
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