नई दिल्ली: विकास दुबे मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और इस दौरान यूपी सरकार की तरफ से दलीलें रखीं गईं। सरकार ने कहा कि विकास दुबे ने पुलिस वालों पर 9 राउंड गोलियां चलाईं थीं और आत्मरक्षा करते हुए पुलिस ने यह एनकाउंटर किया जो फेक नहीं था। योगी सरकार की तरफ से कहा गया कि इस पूरे मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जा चुका है। सरकार ने विस्तार से इस एनकाउंटर को लेकर कोर्ट में अपना पक्ष रखा। इस हलफनामे में कहा गया कि बारिश और तेज गति की वजह से वाहन पलट गया था जिसमें पुलिसवाले गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसी दौरान विकास ने मौके का फायदा उठाते हुए पुलिस कर्मियों की पिस्तौल छीन ली और भागने लगा। जब उसे आत्मसमर्पण करने के लिए बोला गया तो उसने ऐसा मना कर दिया जिसके बाद पुलिस ने मजबूरी में अपनी आत्मरक्षा के लिए गोली का इस्तेमामल किया।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पूरा ध्यान
सरकार की तरफ से कहा गया कि एनकाउंटर के दौरान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन किया गया। यह भी दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक ही यूपी सरकार ने सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया है जो इस पूरे एनकाउंटर मामले की जांच कर रहा है। इतना ही नहीं 24 घंटे के भीतर इसकी सूचना मानवाधिकार आयोग को दे दी गई थी।
ऐसे हुआ था एनकाउंटर
आपको बता देंक कि गैंगस्टर विकास दुबे उस समय पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारा गया जब उसे एसटीएफ की एक टीम मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी। 10 जुलाई की सुबह उज्जैन से लाये जाते वक्त कानपुर के सचेंडी इलाके में एसटीएफ के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया था। पुलिस के अनुसार इस दौरान कानपुर के पास पुलिस की गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की थी। विकास ने बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।