मुंबई : महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक उठा पटक के बाद बीजेपी और शिवसेना के शिंदे गुट उद्धव ठाकरे को बेदखल कर सत्ता में आई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस को शपथ लिए हुए एक महीने हो गए लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है। इस पर रविवार को सीएम शिंदे ने कहा कि कैबिनेट के गठन और मंत्रालयों के आवंटन पर जल्द फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के विकास पर काम कर रहे हैं।
शिंदे की अगुवाई में कई विधायकों के शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के 10 दिन बाद राज्य में नई सरकार का गठन हुआ था। शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और बीजेपी के सीनियर नेता देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। गौर हो कि वर्तमान में शिंदे और फडणवीस ही कैबिनेट के सदस्य हैं। कैबिनेट विस्तार में देरी के कारण विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है।
कांग्रेस के महाराष्ट्र उपाध्यक्ष रत्नाकर महाजन ने तंज कसते हुए कहा कि यह राज्य के इतिहास में पहली बार है कि दो सदस्यों का एक विशाल कैबिनेट बाढ़, कुछ स्थानों पर बारिश की कमी और अन्य मामलों को संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि किसी राजनीतिक दल के लिए कभी इतनी दयनीय स्थिति नहीं रही कि वह एक महीने में किसी राज्य में पूर्ण कैबिनेट नहीं बना पाया हो। इसके लिए बीजेपी की अति महत्वाकांक्षी योजना को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
शिंदे गुट के मुख्य प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि शिवसेना के विधायक विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए कैबिनेट मंत्रियों की तुलना में जिला संरक्षक मंत्री बनने में अधिक रुचि रखते हैं। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि विभागों के आवंटन को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि लंबे समय के बाद महाराष्ट्र को एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है,जो लोगों के लिए 24 घंटे उपलब्ध है।
संजय राउत ने कहा कि पिछले एक महीने से कोई सरकार अस्तित्व में नहीं है। इससे पहले कभी भी महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा को इस तरह से कम नहीं किया गया। राज्य के सम्मान से समझौता किया गया। शिंदे और फडणवीस द्वारा ली गई शपथ अवैध है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट विस्तार में देरी का कारण शिवसेना के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई समेत कुछ भी हो सकता है।
एनसीपी नेता और पूर्व गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा कि एक महीने बाद भी कैबिनेट बनाने में असमर्थता से पता चलता है कि राज्य में राजनीतिक स्थिति अब भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के कई हिस्सों में बारिश और बाढ़ के कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और चूंकि कोई कैबिनेट मंत्री और संरक्षक मंत्री नहीं हैं, इसलिए लोगों की समस्याओं की उपेक्षा हो रही है। महाराष्ट्र ने पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी है।'
40 विधायकों के अलावा पार्टी के 19 में से 12 लोकसभा सदस्यों ने भी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी। सांसदों के अलग हुए गुट को लोकसभा अध्यक्ष ने मान्यता दी है, लेकिन शिवसेना ने मांग की है कि अध्यक्ष उन्हें अयोग्य घोषित कर दें।
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