नई दिल्ली : सीडीएस जनरल बिपिन रावत को ले जाने वाले वायु सेना के दुर्घटनाग्रस्त हेलिकॉप्टर एमआई-17 का 'ब्लैक बॉक्स' बरामद हो गया। वायु सेना अब इस 'ब्लैक बॉक्स' की जांच करेगी। समझा जाता है कि इस 'ब्लैक बॉक्स' की जांच से यह पता चल सकेगा दुर्घटना से ठीक पहले हेलिकॉप्टर के साथ क्या हुआ था और वहां किस तरह की दिक्कत आई थी। बता दें कि 'ब्लैक बॉक्स' नाम होने के बावजूद यह उपकरण न तो काला होता है और न ही यह बॉक्स होता है। यह कम्प्रेसर के आकार का एक उपकरण होता है।
'ब्लैक बॉक्स' के चार हिस्से होते हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 4.5 किलो वजन वाले इस उपकरण के चार हिस्से होते हैं। इसका ऊपरी आवरण स्टील अथवा टाइटेनियम का बना होता है। इमके सर्किट बोर्ड में रिकॉर्डिंग चिप्स लगे होते हैं। इसमें दो रिकॉर्डर -कॉकपिट व्यॉएस रिकार्डर (सीवीआर) और एक फ्लाइट डाटा रिकार्डर होता है। 'ब्लैक बॉक्स' उड़ान के दौरान हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर के कॉकपिट में होने वाली सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इसके भीतर इस तरह से सुरक्षित दीवारें बनी होती हैं कि दुर्घटना के होने पर भी 'ब्लैक बॉक्स' सुरक्षित रहे ताकि बाद में जांच से यह समझा जा सके दुर्घटना से ठीक पहले दरअसल हुआ क्या था।
'यह हेलिकॉप्टर सेवा में करीब 40 साल से है'
इस बीच, वायु सेना के इस बेहतरीन एवं कामयाब माने जाने वाले एमआई-17 हेलिकॉप्टर की दुर्घटना के पीछे की वजहों के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं। यह हादसा खराब मौसम की वजह से हुआ या इसके पीछे कोई तकनीकी खामी थी, अभी इस बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता। टाइम्स नाउ नवभारत के साथ बातचीत में टाइम्स नाउ के कंसल्टिंग एडिटर मारूफ रजा ने कहा कि पिछले 26 घंटे की उड़ान में इस हेलिकॉप्टर ने कोई नुस्ख नहीं दिखाया था। यह हेलिकॉप्टर सेवा में करीब 40 साल से है। यही नहीं इस हेलिकॉप्टर के लिए भारत ने रूस के साथ हाल ही में करार किया है। वायु सेना इस चॉपर के अलग-अलग वैरिएंट इस्तेमाल कर रही है।
'उड़ान में जमीनी निशान का इस्तेमाल करते हैं पायलट'
एक्सपर्ट ने बताया कि रूस के साथ इस हेलिकॉप्टर के लिए 6000 करोड़ रुपए का डील हुआ था। इस चॉपर का एक मेंटिनेंस सेंटर चंडीगढ़ में है। देश के जितने भी वीवीआईपी हैं वे इसी तरह के हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं। रक्षा मंत्री, पीएम भी इससे चलते रहे हैं। इस हेलिकॉप्टर को सफल एवं कामयाब माना जाता है। मारूफ रजा के मुताबिक एयरफोर्स के एक एक्सपर्ट ने उन्हें बताया था कि ऐसे पर्वतीय इलाकों में पायलट अक्सर जमीनी निशान का इस्तेमाल करते हुए उड़ान भरते हैं। इस तरह के इलाकों में उड़ान भरने के लिए कभी-कभी पहाड़ियों, रिज लाइन और घाटियों का इस्तेमाल किया जाता है। धुंध होने के कारण ये जमीनी निशान शायद नजर नहीं आए होंगे। बड़े पेड़ या बिजली के तार हादसे की वजह का एक कारण हो सकते हैं।
हादसे से पहले का वीडियो आया सामने
कुन्नूर में जिस वक्त यह हादसा हुआ, स्थानीय लोग वहां मौजूद थे। स्थानीय लोगों की ओर से बनाए गए इस वीडियो में हेलीकॉप्टर को देखा जा सकता है। वीडियो में आसमान में धुंध देखा जा सकता है। हेलिकॉप्टर इस धुंध में प्रवेश करता है और कुछ सेकेंड बाद एक जोर की आवाज सुनाई देती है। हालांकि, इस वीडियो पर वायु सेना ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। माना जा रहा है कि वायु सेना के इसी हेलिकॉप्टर में सीडीएस रावत सवार थे।
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