Rashtravad: 2002 के गुजरात दंगे ने इस देश की राजनीति में खूब तूफान मचाया है। और एक बार फिर इस पर राजनीतिक तलवारें खिंच गई हैं। गुजरात दंगों को लेकर गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ साजिश की जांच कर रही SIT ने सीधे-सीधे नाम ले लिया है कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का। SIT के हलफनामे में कहा गया है कि सोनिया के राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल के जरिये साजिशकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को 30 लाख रुपए दिए गए। SIT के मुताबिक ये सााजिश इसलिए हुई ताकि मोदी की गुजरात सरकार को हटाया जा सके।
SIT के इस दावे पर BJP और कांग्रेस के बीच घमासान छिड़ गया है। BJP सोनिया गांधी पर हमलावर है तो कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आते ही मोदी अपने खिलाफ षडयंत्र वाली थ्योरी लेकर आ गए और एक मुसलमान नेता का नाम उछाल रहे हैं। राष्ट्रवाद का मुद्दा है कि क्या SIT के दावों को चुनावी कह के खारिज किया जा सकता है? या फिर वाकई कांग्रेस फंड से मोदी के खिलाफ साजिश रची गई? 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिलने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया था।
उसके अगले ही दिन यानी 25 जून को गुजरात दंगों को लेकर तत्कालीन गुजरात सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोपों की जांच के लिए SIT का गठन हुआ था। इस SIT ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व पुलिस अधिकारियों आर बी श्रीकुमार संजीव भट्ट के खिलाफ जांच शुरू की है। और इसी SIT ने गवाहों के बयान के आधार पर जो हलफनामा दिया है वो विस्फोटक है।
हलफनामे के कुछ खास अंश हैं, स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने जांच के दौरान ऐसे कई सूबत जुटाए जिससे ये साबित होता है कि आवेदक (तीस्ता सीतलवाड़) और दूसरे लोग किसी बड़ी साजिश में शामिल थे। जांच के दौरान पाया गया कि राजनीतिक, आर्थिक और दूसरे लाभ हासिल करने के लिए एक सोची समझी बड़ी साजिश रची गई।
हलफनामे में आगे लिखा गया कि साजिश को अंजाम देते हुए आवेदक(तीस्ता सीतलवाड़) का राजनीतिक उद्देश्य किसी भी तरह से गुजरात की चुनी हुई सरकार को गिरा देना या अस्थिर कर देना था । तत्कालीन मुख्यमंत्री समेत गुजरात सरकार के लोगों और अन्य निर्दोष लोगों को गलत तरीके से फंसाने के बदले आवेदक(तीस्ता सीतलवाड़) ने गैरकानूनी आर्थिक और दूसरे फायदे और इनाम विपक्षी राजनीतिक दल से हासिल किए । अब तक की जांच में 2 गवाहों के बयानों से साफ है कि आरोपियों ने राजनीतिक उद्देश्य से साजिश रची। हलफनामा कहता है कि 2 गवाहों के बयान साबित करते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार और राज्यसभा सांसद रहे स्वर्गीय अहमद पटेल के कहने पर आवेदक(तीस्ता सीतलवाड़) ने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रची।
हलफनामे में ब्योरा देते हुए SIT ने कहा है कि आवेदक (तीस्ता सीतलवाड़) शुरू से साजिश में शामिल रही हैं, गोधरा ट्रेन घटना के कुछ ही दिनों बाद आवेदक ने अहमद पटेल के साथ मीटिंग की और पहली ही बार में 5 लाख रुपए हासिल किए । एक गवाह ने उन्हें अहमद पटेल के निर्देशों पर पैसे सौंपे थे। 2 दिनों बाद शाहीबाग गवर्नमेंट सर्किट हाउस में आवेदक और अहमद पटेल के बीच मीटिंग हुई और गवाह ने आवेदक को अहमद पटेल के निर्देशों पर 25 लाख रुपए और सौंपे । जो नकदी दी गई वो किसी तरह की राहत राशि नहीं थी क्योंकि पूरे गुजरात में राहत सामग्री खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी वस्तुओं के तौर पर गुजरात राहत समिति पहुंचाती थी ।
SIT का ये जो दावा आपने सुना उस पर वो व्यक्ति मुहर लगा रहा है जिसके हाथों 30 लाख रुपए तीस्ता सीतलवाड़ को ट्रांसफर होने का आरोप है। SIT ने अपने हलफनामे में कुतुबुद्दीन अंसारी का जिक्र भी किया। आप सोच रहे होंगे कि कुतुबुद्दीन अंसारी कौन है। आप ये तस्वीर देखिए। ये कुतुबुद्दीन अंसारी की तस्वीर है। आपको याद आ गया होगा कि इस तस्वीर को गुजरात दंगों के चेहरे के तौर पर पेश किया गया था। SIT ने अपने हलफनामे में कहा है कि इस तस्वीर के जरिये ना सिर्फ बड़ा फंड हासिल किया गया बल्कि गुजरात सरकार को बदनाम करने में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया।
जाहिर तौर पर SIT का दावा बड़ा है। और इसी साल होने वाले गुजरात चुनाव के पहले बीजेपी को बड़ा मुद्दा दे रहा है। सुनिए बीजेपी ने कैसे सोनिया गांधी को SIT के हलफनामे के जरिये घेर लिया है। BJP के हमले पर जवाब कांग्रेस की ओर से भी आया है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी ऐसी ही कन्सपिरेसी थ्योरी ढूंढ़ते हैं और किसी मुस्लिम नेता का नाम सामने लाते हैं।
आज का सवाल
1. क्या कांग्रेसी फंड से मोदी के खिलाफ साजिश हुई ?
2. क्या तीस्ता सीतलवाड़ को सोनिया गांधी ने पैसा पहुंचाया?
3. गुजरात चुनाव से पहले क्या SIT को टूल बनाया जा रहा है?
4. क्या कांग्रेस मोदी के खिलाफ मुस्लिम राग से विक्टिम कार्ड खेल रही है?
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