कर्नाटक के सीएम बी एस येदियुरप्पा हैं लेकिन 26 जुलाई के बाद क्या होगा उन्हें भी पता नहीं। इसके साथ ही वो कहते हैं कि उनसे इस्तीफे के लिए नहीं कहा गया है। जब उनसे इस्तीफे के लिए कहा जाएगा वो पद छोड़ देंगे और पार्टी के लिए काम करेंगे। उनकी तरफ से किसी नाम की संस्तुति नहीं की गई है और ना ही पार्टी हाईकमांड ने इस विषय पर कुछ कहा है। अब सवाल यह है कि वो इस तरह के बयानों के जरिए क्या संदेश देना चाहते हैं।
26 जुलाई डी डे
बता दें कि पिछले हफ्ते दिल्ली में बी एस येदियुरप्पा की पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक हुई थी और इसी तरह का जब उनसे सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि जे पी नड्डा के दिल में उनके लिए खास जगह है। ऐसे में सवाल उठता है कि करीब पांच दिन के बाद ऐसा क्या हुआ कि वो यह कहने लगे कि 26 जुलाई को इंतजार करना होगा। 26 जुलाई का दिन सांकेतिक तौर पर वो खुद के लिए अहम बता रहे हैं क्योंकि इसी दिन उनकी सरकार के दो साल पूरे होने जा रहे हैं।
लिंगायत समाज के संतों से मुलाकात
बी एस येदियुरप्पा दिल्ली से लौटने के बाद लिंगायत समाज के तमाम संतों से मुलाकात की थी। जानकारों का कहना है कि वैसे तो मुलाकात का मकसद धार्मिक मुद्दों पर चर्चा करना था। लेकिन वास्तव में वो लिंगायत समाज में अपनी धमक को वो आलाकमान के सामने दिखाना चाहते थे कि अगर उन्हें बदलने की योजना भी है तो उन्हें हाशिए पर नहीं डाला जा सकता है। यहां यह समझना जरूरी है कि कर्नाटर की सियासत में मठों की अहम भूमिका रही है और उसे हर दल बखूबी समझते हैं।
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