आसमान से आग के गोले बरस रहे हैं। घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। मार्च के महीने में देश के ज्यादातर हिस्सों में पारा 40 के पार चला गया था जो आमतौर पर नहीं होता था। मार्च महीने के बारे में मौसम विभाग ने पूर्वानुमान लगया था कि गर्मी कम रहेगी लेकिन वो गलत साबित हुई। मौसम विभाग ने इसके लिए दो वजहों को जिम्मेदार बताया। पहला तो यह कि पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा उत्तर दिशा यानी भारत से दूर था और राजस्थान में एंटी साइक्लोन सर्कुलेशन का बनना था। इन सबके बीच 2022 का मार्च महीना पिछले 122 साल में सबसे ज्यादा गर्म रहा है।
जलवायु परिवर्तन बड़ी वजह
भारतीय मौसम विभाग के इतिहास में यह महीना सबसे ज्यादा गर्म रहा है। इससे पहले मार्च 2010 में सामान्य औसत तापमान 33.09 डिग्री सेंटीग्रेड था जबकि मार्च 2022 में औसत तापमान 33.1 डिग्री सेंटीग्रेड हो गया। अगर बात मार्च 2020 की करें तो उत्तर पश्चिम भारत के कई इलाकों में भीषण गर्मी थी। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर भी पिछले दो दशक ज्यादा गरम रहे हैं। इतनी ज्यादा गर्मी के पीछे जलवायु परिवर्तन की अहम भूमिका है। आप खुद देख सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में हमने बेमौसम सामान्य से अधिक गर्मी, सर्दी और बारिश अनुभव किया है।
मार्च का दूसरा और तीसरा हफ्ता ज्यादा गर्म
मौसम विभाग के मुताबिक मार्च को दूसरा और तीसरा हफ्ता सामान्य से ज्यादा गर्म रहा। दिल्ली, चंद्रपपर, जम्मू, धर्मशाला, पटियाला, देहरादून, ग्वालियर, कोटा, पुणे में ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया। पश्चिमी हिमालय में स्थित हिल स्टेशन में गर्मी सामान्य से 7 से लेकर 11 डिग्री तक रिकॉर्ड किया गया। देहरादून, धर्मशाला और जम्मू में तापमान 34 से 35 डिग्री तक दर्ज किया गया। सामान्य तौर पर गर्मी के मौसम में सबसे अधिक तापमान महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों के साथ साथ गुजरात, तेलंगाना और ओडिशा में दर्ज किया जाता है।
मार्च 2022 में अधिकतम, न्यूनतम और औसत तापमान 33.1 डिग्री, 20.24 डिग्री और 26.67 डिग्री था। जबकि इसकी तुलना 1981-2010 से करें तो वह 31.24 डिग्री, 18.87 डिग्री और 25.06 डिग्री था
जानकारों का कहना है कि जिस तरह से सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है उसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार है 2000 के बाद से मौसम में असामान्य बदलाव देखा जा रहा है। लेकिन इन सबके बीच मौसम विभाग की सटीक जानकारी से लोगों के असामान्य मौसम के प्रकोप से बचने में मदद मिल रही है। पहले जिस तरह से ज्यादा मात्रा में नुकसान हुआ करता था उससे बचने में मदद मिली है।
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