पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित हुआ CAA के खिलाफ प्रस्ताव, ममता ने कहा है-'जीते जी लागू नहीं होने दूंगी इसे'

West Bengal passes resolution against CAA : पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।

West Bengal Assembly passes resolution against Citizenship Amendment Act, पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित हुआ CAA के खिलाफ प्रस्ताव, विरोध करने वाला चौथा राज्य बना
पश्चिम बंगाल विस में पारित हुआ सीएए के खिलाफ प्रस्ताव।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • सीएए और एनआरसी का मुखर विरोधी हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह अपने यहां इसे लागू नहीं होने देंगी
  • केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद प्रस्ताव पारित करने वाला चौथा राज्य है पश्चिम बंगाल

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव लाने वाले राज्यों की सूची में अब पश्चिम बंगाल भी शामिल हो गया है। सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया। इसके साथ ही सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पश्चिम बंगाल देश का चौथा राज्य बन गया। इसके पहले केरल, पंजाब और राजस्थान सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। प्रस्ताव लाने वाले ये सभी राज्य-गैर भाजपा शासित हैं। इन सभी प्रस्तावों में सीएए को वापस लेने की मांग की गई है।

मीडिया रिपोर्टों की अगर बात करें तो सीएए विरोधी राज्यों के साथ तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी आ सकते हैं। ममता बनर्जी का यह कदम सीएए पर उनके रुख के मुताबिक ही है। ममता इस संशोधित कानून का मुखर विरोधी रही हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह सीएए और एनआरसी को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी। वह इस कानून के खिलाफ कोलकाता की सड़कों पर उतरती आई हैं। कुछ दिनों पहले सीएए के खिलाफ रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ' मेरे जीते पश्चिम बंगाल में सीएए और एनआरसी लागू नहीं हो सकते।' 

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा कि राज्य सीएए को लागू करने से इंकार नहीं कर सकते। कांग्रेस नेता ने हालांकि कहा कि राज्य इस कानून को वापस करने की केंद्र सरकार से मांग करते हुए प्रस्ताव पारित कर सकते हैं।

इस बीच, यूरोपीय संसद में पाकिस्तानी मूल के सांसद शफाक मोहम्मद ने सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर बुधवार को वोटिंग के बाद चर्चा हो सकती है। सांसद के इस प्रस्ताव पर भारत ने प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा है कि इस तरह का कोई कदम उठाने से पहले यूरोपीय संसद को पहले उससे बात करनी चाहिए। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत ने कहा है कि सीएए पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। संसद के दोनों सदनों में सीएए पर चर्चा करने, लोकतांत्रिक एवं जरूरी प्रक्रियाओं को अपनाने के बाद इसे कानून बनाया गया। 

बता दें कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन एवं पारसी) के लोगों को नागरिकता देने के लिए भारत सरकार सीएए कानून लेकर आई है। विपक्ष इस कानून का विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि धार्मिक रूप से किसी समुदाय को इससे बाहर रखना और इसी आधार पर अन्य समुदायों को नागरिकता देने संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है। 

 

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