नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल बजेपी प्रमुख दिलीप घोष एक बार फिर से अपने एक बयान के कारण विवादों में हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा कि इतनी ठंड के बावजूद सीएए के खिलाफ शाहीन बाग प्रदर्शन में कोई मर क्यों नहीं रहा है कोई बीमार क्यों नही हो रहा है। उन्होंने कहा कि जबकि नोटबंदी के समय बैंकों के बाहर लंबी लाइनों में खड़े रहने में कई लोगों ने अपनी जानें गंवाई थी। उनके इस बयान ने बड़ा विवाद का रूप ले लिया है।
उन्होंने कहा कि इतनी कड़ाके की ठंड में शाहीन बाग में महिलाएं और बच्चे खुले आसमान के नीचे महीनों से दिन रात प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें से अभी तक कोई बीमार या फिर कोई मर क्यों नहीं रहा है, जबकि नोटबंदी के समय दो तीन घंटे लाइन में खड़े रहने में कई लोग मर गए थे।
कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में घोष बोल रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने इस पर सवाल खड़े किए कि शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन को कौन फंड कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ताज्जुब की बात है कि इतनी ठंड में महिलाएं बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठे हैं उन्हें कुछ होता क्यों नहीं है, क्यों अभी तक एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, क्यों कोई अभी तक बीमार भी नहीं पड़ा है?
क्या उन्होंने कोई अमृत पी रखा है जो उन्हें कुछ नहीं हो रहा है। सैकड़ों महिलाएं साउथ दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए, एनसीआर और एनपीआर के खिलाफ महीनों से प्रदर्शन में बैठी हैं।
आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब दिलीप घोष ने सीएए के खिलाफ विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर हमला बोला है। इसके पहले उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों को कुत्तों की तरह गोली मार देनी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कड़ा कदम ना उठाने के लिए आलोचना की थी। इसके साथ ही उन्होंने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बुद्धिजीवियों को शैतान कहा था।
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