Indian Airforce:सिर्फ 18 महीने में तीन गुना मजबूत हुई देश की पश्चिमी सीमा, हवा के इन तीन महारथियों को सलाम

देश
ललित राय
Updated Sep 11, 2020 | 17:33 IST

Indian airforce strength: पिछले डेढ़ साल में भारतीय वायुसेना में चिनूक, अपाचे और राफेल विमानों के शामिल होने के बाद पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना की ताकत में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है।

Indian Airforce:सिर्फ 18 महीने में तीन गुना मजबूत हुई देश की पश्चिमी सीमा, हवा के इन तीन महारथियों को सलाम
पिछले 18 महीने में चिनूक, अपाचे और राफेल वायुसेना में शामिल 
मुख्य बातें
  • पिछले डेढ़ साल में भारतीय वायुसेना में अपाचे, चिनूक और राफेल को किया गया शामिल
  • इन तीनों महारथियों के शामिल होने के बाद पश्चिमी सीमा हुई और महफूज
  • राफेल को अब औपचारिक तौर पर किया गया है शामिल

नई दिल्ली। भारत के सामने इस समय पाकिस्तान के साथ साथ चीन से भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन पिछले डेढ़ साल में भारतीय वायुसेना ने अपनी शक्ति में इजाफा किया है और उसकी वजह से देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमा मजबूत हुई है। खासतौर से चिनूक, अपाचे और राफेल के शामिल होने के बाद वायुसेना की निगरानी और स्ट्राइक करने की क्षमता में इजाफा हुआ है। इसके साथ अगर चिनूक, अपाचे और राफेल की पोजिशनिंग को देखें को स्पष्ट है कि पाकिस्तान और चीन के खिलाफ फारवर्ड पोस्ट पर जाने में कम समय लगेगा।

जानकार कहते हैं कि पश्चिमी फ्रंट पर इन हथियारों की तैनाती इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इलाका जम्मू-कश्मीर, लद्दाख समेत पूरे भारत को जोड़ता है। अंबाला एयरबेस पर गुरुवार को गोल्डन एरो स्कवाड्रन में राफेल विमानों को शामिल किया गया। राफेल विमानों के वायुसेना बेड़े में शामिल होने के बाद न केवल भारत की मारक क्षमता में इजाफा हुआ है बल्कि हम अपने एयर स्पेस का बेहतर तरीके से रखवाली भी कर सकेंगे। 
 
हैवी लिफ्ट चिनूक हेलिकॉप्टरों को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया गया है। चंडीगढ़ एयरबेस को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में तैनात भारतीय सुरक्षाबलों की रीढ़ की हड्डी की तरह है। चिनूक के साथ साथ मल्टी रोल एएन-32 और स्ट्रैटिजिक लिफ्ट एयरक्राफ्ट आईएल-76 की तैनाती इसे और मजबूत बनाती है। जानकार कहते हैं कि अगर हाल के दिनों में सीमा की स्थिति देखें तो पाकिस्तान के साथ साथ चीन से भी चुनौती बढ़ी है। 

IAF inducts its American Chinook heavy-lift choppers in Assam for operations near China border
पठानकोट एयरबेस पर 125-हेलिकॉप्टर्स स्क्वॉड्रन में पिछले साल सितंबर महीने में ही अटैक हेलिकॉप्टर्स अपाचे की भी तैनाती हुई है। पठानकोट एयरबेस किसी भी आपातकालीन स्थिति में पश्चिमी और उत्तरी सीमा तक बेहद जरूरी ऑपरेशनल रेंज मुहैया कराता है। अपाचे हेलीकॉप्टर्स की खासियत यह है कि यह दुनिया के सबसे दमदार हमलावर हेलीकॉप्टरों में से एक है अपाचेइराक और अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिका ने किया था इस्तेमाल। 

Apache Helicopter
30 सितंबर 1975 को इस हेलीकॉप्टर ने अपनी पहली उड़ान भरी थी और साल 1986 में पहली बार सैन्य सेवा में शामिल हुआ था।अमेरिका ने इराक पर हमले के दौरान 'ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म' के तहत दुश्मन देश के सभी रडार इसी हेलीकॉप्टर की मदद से तबाह कर दिए बोइंग ने अब तक दुनियाभर में अपने ग्राहकों को 2,200 अपाचे हेलीकॉप्टर दिए हैं। अपाचे का चयन करने वाला भारत दुनिया का 14वां देश है।पहाड़ी लड़ाईयों में हमलावर हेलीकॉप्टर एक बेहद अहम हथियार होता है और प्रभावी ढंग से दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है। ऐसे में कारगिल जैसे किसी भी युद्ध की स्थिति में अपाचे भारत के लिए गेम चेंजर साबित होने का दम रखता है।

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