नई दिल्ली : गत सोमवार को मुंबई से कोलकाता जाने वाली विस्तारा की फ्लाइट में सवार आठ यात्री घायल हो गए। कोलकाता जा रहा बोइंग 737-800 विमान जब आसमान में था तो उसे एयर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। इस एयरटर्बुलेंस की तीव्रता इतनी अधिक थी कि तीन यात्रियों को विमान में काफी चोट आई और विमान के लैंड करने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। वहीं पांच यात्रियों को हल्की चोटें आईं। भारत में एयरटर्बुलेंस के दौरान विमान में यात्रियों के घायल होने का अपने तरह का यह पहला मामला है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने इसे एक 'घटना' बताया है। डीजीसीए इस मामले की जांच करेगा।
कब और क्या हुआ
गत सोमवार को विस्तारा का विमान 113 यात्रियो को लेकर मुंबई से कोलकाता के लिए रवाना हुआ। लैंडिंग करने से 15 मिनट पहले जब विमान 15,000 फीट से 20,000 फीट की ऊंचाई पर था तो उसका 'तीव्र एयरटर्बुलेंस' से सामना हुआ। विमान के लैंडिंग करने पर घायल आठ यात्रियों में से पांच को प्राथमिक उपचार दिया गया जबकि तीन यात्रियों को कोलकाता के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया। एयर टर्बुलेंस की इस घटना में एक महिला के हाथ और एक बुजुर्ग के रीढ की हड्डी में चोट आई।
क्या होता है टर्बुलेंस
विमान के उड़ते समय जब उसके पंखों से हवा जब अनियंत्रित होकर टकराती है तो विमान में एयर टर्बुलेंस उत्पन्न होता है। इससे विमान ऊपर-नीचे होने लगता है और यात्रियों को झटके लगने शुरू हो जाते हैं। उड़ते हुए विमानों को कम के कम सात तरह के टर्बुलेंस का सामना करना पड़ता है। टर्बुलेंस मौसम से जुड़ा भी हो सकता है। आसमान में बिजली कड़कने और भारी बादल होने के समय विमान में टर्बुलेंस पैदा होता है। ये सात टर्बुलेंस हैं-
हमेशा सीट बेल्ट बेल्ट बांधकर रखें
टर्बुलेंस का सामने करने पर यात्रियों को अपना सीट बेल्ट तुरंत बांध लेना चाहिए और इसे तब तक ढीला नहीं करना चाहिए जब तक कि टर्बुलेंस समाप्त न हो जाए। विमान के उड़ान से पहले फ्लाइट अटेंडेंट सुरक्षा संबंधी जानकारी देते हैं, यात्रियों को इसे ध्यान से सुनना चाहिए। आपके साथ यदि कोई बच्चा भी यात्रा कर रहा है तो उसका भी सीट बेल्ट बांधकर रखें।
पायलटों को मौसम के बारे में ब्रीफ किया जाता है
विमानन कंपनियां उड़ान से पहले टर्बुलेंस से बचने की पूरी तैयारी करती हैं। उड़ान से पहले पायलटों को उड़ान वाले रास्ते की मौसम की रिपोर्ट दी जाती है। पायलट को यदि लगता है कि टर्बुलेंस गंभीर हो सकता है तो वह अपने रूट को डायवर्ट करने की अपील कर सकता है। इसके अलावा उड़ान के समय भी यदि पायलट को लगता है कि टर्बुलेंस ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है तो वह एटीसी से संपर्क कर विमान को दूसरे रास्ते से जाने का अनुरोध कर सकता है। उड़ना के समय एटीसी और पायलटों के बीच रीयल टाइम पर मौसम के बारे में बातचीत होती रहती है।
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