कल है 'बीटिंग द रिट्रीट', गणतंत्र दिवस से जुड़े इस समारोह के बारे में कितना जानते हैं आप?

देश
श्वेता कुमारी
Updated Jan 28, 2021 | 15:02 IST

Beating Retreat ceremony: गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत जहां 26 जनवरी को राजपथ पर परेड के साथ होती है, वहीं इसका समापन 29 जनवरी को विजय चौक पर आयोजित 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह के साथ होता है।

कल है 'बीटिंग द रिट्रीट', गणतंत्र दिवस से जुड़े इस समारोह के बारे में कितना जानते हैं आप?
कल है 'बीटिंग द रिट्रीट', गणतंत्र दिवस से जुड़े इस समारोह के बारे में कितना जानते हैं आप?  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्‍ली : राष्‍ट्रीय राजधानी राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्‍य समारोह के बाद अब तैयारी 'बीटिंग द रिट्रीट' की है, जो 29 जनवरी (शुक्रवार) को आयोजित होना है। यह गणतंत्र दिवस समारोह का ही हिस्‍सा है, जिसे गणतंत्र दिवस समारोह के औपचारिक समापन के तौर पर देखा जाता है। हर साल गणतंत्र दिवस समारोह के तीन दिन बाद विजय चौक पर आयोजित होने वाला यह समारोह मुख्‍य रूप से सेना के अपने बैरक में लौटने का प्रतीक होता है।

बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाकर उनसे बैंड वापस ले जाने की औपचारिक अनुमति मांगता है और इसके साथ ही 26 जनवरी को शुरू होने वाला गणतंत्र दिवस समारोह चौथे दिन समाप्‍त हो जाता है। चूंकि यह समारोह सेना के बैरकों में लौट जाने का प्रतीक है, इसलिए इसका आयोजन सूर्यास्‍त के समय होता है। यह उस पारंपरिक युद्ध प्रणाली की याद दिलाता है, जिसमें दिनभर के युद्ध के बाद सैनिक शाम में अपनी बैरकों में लौटते थे और रात में आराम के बाद अगली सुबह फिर युद्ध लड़ते थे।

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बजाई जाती है कई खास धुन

इस दौरान तीनों सेना- थल सेना, नौ सेना और वायु सेना की धुन एक साथ बजाई जाती है। सैन्‍य बलों के प्रशिक्ष‍ित ड्रमर्स राष्‍ट्रप‍िता महात्‍मा गांधी की पसंदीदा धुनों में से एक 'अबाइड विद मी' को बजाते हुए मार्च पास्‍ट करते हैं। यह एक क्रिश्‍चन धुन है, जिसमें ईश्‍वर से हमेशा साथ रहने की प्रार्थना की जाती है। स्‍कॉटलैंड के मशहूर कवि हेनरी फ्रांसिस ल‍िट ने इस मंत्र को 1847 में लिखा था, जिसे 1861 में कंपोज किया गया था। शुक्रवार (29 जनवरी) को इसका आयोजन शाम 5 बजे से शुरू हो जाएगा।

भारत में बीटिंग द रिट्रीट समारोह 1950 से मनाया जा रहा है, जब देश 26 जनवरी को औपचारिक तौर पर गणतंत्र बना। इसमें ऊंटों का एक दस्‍ता भी शामिल होता है, जो रायसीना हिल पर नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में खड़े दिखाई देते हैं। ऊंटों का यह दस्‍ता 26 जनवरी को राजपथ पर होने वाले परेड में भी नजर आता है। बीटिंग द रिट्रीट में हिस्‍सा लेने वाले ऊंटों को खूब जाया जाता है और इस पर बीएसएफ के जवान बैठे होते हैं। ये शाही अंदाज में अपने मूंछों पर ताव देते नजर आते हैं।

राष्‍ट्रपति से मांगते हैं अनुमति

समारोह के आखिर में बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति से बैंड ले जाने की अनुमति मांगते हैं। महामहिम की मंजूरी मिलते ही बैंड वापसी के संकेत मिल जाते हैं, जिसके बाद राष्‍ट्रध्‍वज उतार लिया जाता है। इस दौरान एक बार फिर से राष्‍ट्रगान गाया जाता है, जिसकी धुन कार्यक्रम की शुरुआत में भी बजती है। आखिर में सेना के बैंड 'सारे जहां से अच्‍छा...' की धुन बजाते हैं। सायं होते ही राष्‍ट्रपति भवन रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया नजर आता है, जिसकी छटा देखते ही बनती है।

इस बार पाकिस्‍तान से बांग्‍लादेश को 1971 में मिली आजादी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह के दौरान खास 'स्‍वर्णिम विजय' धुन भी बजाई जाएगी। यहां उल्‍लेखनीय है कि बांग्‍लादेश की आजादी की स्‍वर्ण जयंती के उपलक्ष्‍य में इस बार बांग्‍लादेश के सैनिकों ने भी राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में हिस्‍सा लिया। यह दूसरी बार है जब विदेशी सैनिकों ने राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के दौरान मार्च किया। इससे पहले 2016 में फ्रांसीसी सनिकों ने राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में हिस्‍सा लिया था।

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