नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विधानसभा में विपक्ष पर राम-परशुराम के नाम पर जातिगत विभाजन का प्रयास करने के लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह भगवान राम के चरित्र की ताकत थी कि सदियों पुराने विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया गया। विभाजनकारी लोग भी राम-राम बोल रहे हैं। हालांकि राम का नाम किसी भी नाम से लें उद्धार होगा, फिर वो परशुराम के नाम पर ही क्यों न हो। परशुराम के नाम में भी राम का नाम आता है। आज जो लोग जाति की राजनीति कर रहे हैं, वो जातिवाद का झंडा ऊंचा कर रहे हैं। यही लोग एक समय में तिलक-तराजू के नाम पर जहर घोलते थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, राम परशुराम में तात्विक रूप से कोई भेद नहीं है। दोनों विष्णु के अवतार हैं। शास्त्र में कोई भेद नहीं है। कुछ लोग राम और परशुराम में भेद बताकर गंदी सियासत करते हैं। जातिवादी, विभाजनकारी, कुत्सित मानसिकता रखते हैं।
ये है नीरज मिश्रा की हत्या का मामला
समाजवादी पार्टी या उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर मुख्यमंत्री ने कहा, 'कन्नौज के एक भाजपा कार्यकर्ता नीरज मिश्रा की एक नेता के इशारे पर गला काटकर हत्या कर दी गई थी, लेकिन पार्टी ने लोगों से कभी माफी नहीं मांगी।' जब घटना हुई थी तब अखिलेश यादव कन्नौज से समाजवादी पार्टी के सांसद थे। नीरज मिश्रा 5 मई 2004 को गायब हुआ था। 6 मई 2004 को उसकी सर कटी लाश ईशन नदी के किनारे मिली थी। लोकसभा चुनाव के दौरान बूथ पर झगड़ा हुआ था। नीरज मिश्रा छिबरामऊ के कसाबा गांव का रहने वाला था। इसी गांव के बूथ बाबा हरिपुरी इंटर कालेज पर झगड़ा हुआ था। इसके बाद नीरज मिश्रा गायब हो गया था। अगले दिन उसकी लाश मिली, सिर नहीं मिला।
नीरज के भाई ने बताया, 'उस समय चुनाव लड़ रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री के बेटे अखिलेश यादव लगातार पोलिंग बूथ को लूटते हुए आ रहे थे। जैसे वो कसाबा में पहुंचे वहां मौजूद मेरे भाई नीरज मिश्रा ने पोलिंग बूथ लूटने से उन्हें रोका। यहां झगड़ा शुरू हो गया, धक्का-मुक्की हुई। शहजाते का हाथ पकड़कर उसने धक्का दिया। ये बात समाजवादी पार्टी के लोगों को बुरी लगी। इसी बात से नाराज होकर अखिलेश ने अपने पिता जी से बात की और कहा कि नीरज मिश्रा मुझे जिंदा या मुर्दा चाहिए।'
उन्होंने आगे बताया कि चुनाव के बाद उनके गुड़ों ने नीरज मिश्रा की निर्मम हत्या कर दी। ये सब पुलिस की देखरेख में हुआ। लाश को नदी में फेंक दिया गया। मुकदमे को एक बेंच से दूसरी बेंच तक घुमाया गया। चौथी बार में सभी आरोपियों को आजीवन की सजा मिली। बाद में सभी को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। आज सब घूम रहे हैं। आज जो समाजवादी पार्टी ब्राह्मणोम की बात कर रही है, नीरज मिश्रा हत्याकांड उनके मुंह पर तमाचा है।
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