नई दिल्ली: असम में पिछले साल 30 जुलाई को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम ड्रॉफ्ट जारी किया गया। उसके बाद यह कहा जाने लगा कि यह पूरे देश में लागू होगा। कुछ दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने संसद जब संसद में कहा कि, 'मानकर चलिए की एनआरसी आने वाला है', तो स्पष्ट हो गया कि देश में भी एनआरसी जल्द ही लागू हो जाएगा।
क्या कहा था अमित शाह ने
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने धर्म के आधार पर भेदभाव की आशंका को खारिज करते हुए कहा था कि किसी भी समुदाय को इससे डरने की जरूरत नहीं है। शाह ने कहा था, 'एनआरसी में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर कहा जाए कि और धर्म के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। देश के सभी नागरिक भले ही उनका धर्म कुछ भी हो, एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। एनआरसी अलग प्रक्रिया है और नागरिकता संशोधन विधेयक अलग प्रक्रिया है।' ऐसे में समझने की जरूरत है कि आखिर एनआरसी है क्या? तो आईए जानते हैं कि एनआरसी के बारे में-
क्या है एनआरसी (What is NRC)
एनआरसी एक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है जो यह बताता है कि कौन-कौन भारत के नागरिक है और कौन नहीं। इस रजिस्टर में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं होते हैं उन्हें अवैध नागरिक कहा जाएगा। वर्तमान में भारत में केवल असम में ही यह कानून लागू है। असम पहला राज्य है जहां एनआरसी के तहत ड्रॉफ्ट लागू हुआ, लेकिन इसे देश में भी लागू किया जाएगा। यहीं वो रजिस्टर है जिसके हिसाब से असम में 25 मार्च 1971 से पहले रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।
दरअसल असम में एनआरसी की प्रक्रिया को 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू किया गया तांकि बांग्लादेश से असम में अवैध रूप से आए प्रवासियों की पहचान हो सके। असम में 31 अगस्त को जो एनआरसी लिस्ट जारी की गई उसमें 19 लाख लोगों को इसमें जगह नहीं मिली।
एनआरसी के दो प्रकार 'ए' और 'बी' की लिस्ट मांगी गई है जिसके तहत कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं जो इस प्रकार हैं-
लिस्ट A में मांगे गए मुख्य डॉक्युमेंट्स( NRC Documents List) इस प्रकार हैं.
लिस्ट B में शामिल मुख्य डॉक्युमेंट्स
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